Shalini Agnihotri UPSC Success Story: भारत के उत्तरी राज्य हिमाचल प्रदेश की रहने वाली शालिनी अग्निहोत्री आज करोड़ों लोगों के लिए मिसाल बन चुकी हैं। वह हिमाचल प्रदेश के एक छोटे से गांव ठठ्ठल से नाता रखती हैं जो ऊना के पास स्थित है। एक छोटे से गांव से जिंदगी की शुरुआत करके आईपीएस बनना उनके लिए आसान नहीं था। मगर आईपीएस बनने के पीछे उनकी सोच, मेहनत, लगन और कहानी प्रेरणादायक है। बचपन में मां के साथ हुई एक घटना के बाद उन्होंने यह तय कर लिया था कि वह बड़े होकर अधिकारी बनेंगी। बचपन में किया खुद से वादा शालिनी ने आज पूरा करके दिखाया है। शालिनी अग्निहोत्री की गिनती कई ईमानदार, मेहनती और निडर अधिकारियों में की जाती है। आईपीएस बनने के बाद उन्होंने कई नशे के सौदागरों को अपना निशाना बनाया और कई अपराधियों को सलाखों के पीछे किया।
मां के अपमानित होने पर लिया था अधिकारी बनने का फैसला
जब शालिनी अग्निहोत्री छोटी थीं तब वह अपनी मां के साथ एक बस में बैठी थीं। शालिनी तो आराम से बैठी थीं मगर उनकी मां को पूरे रास्ते परेशानी सह कर सफर करना पड़ा था। दरअसल, हुआ यह था कि जिस सीट पर शालिनी की मां बैठी थीं। उस सीट के पीछे एक आदमी ने अपना हाथ रखा था जिसके वजह से शालिनी की मां को असहजता महसूस हो रही थी। उनकी मां ने कई बार उस आदमी को टोका। मगर वह नहीं माना। बदतमीजी के साथ अंत में उस आदमी ने यह कहा था कि तुम क्या कहीं की डीसी हो जो हम तुम्हारी बात मान लेंगे। इस घटना के बाद शालिनी अग्निहोत्री ने यह फैसला कर लिया था कि वह बड़ी होकर अधिकारी जरूर बनेंगी।
12वीं में कम प्रतिशत आने पर मां-बाप ने किया प्रोत्साहित
शालिनी अग्निहोत्री का परफॉर्मेंस दसवीं में काबिले तारीफ था। उन्हें करीब 92 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए थे। मगर जब वह बारहवीं में आईं तब उनका परफॉर्मेंस पहले से खराब होने लगा। 12वीं में उन्होंने 77 प्रतिशत अंक मिले थे। कम मार्क्स आने पर उनके मां-बाप ने उन्हें प्रोत्साहित किया और अपने सपनों को पूरा करने की हिम्मत दी।
ग्रेजुएशन के साथ की यूपीएससी की तैयारी
शालिनी ने 12वीं कक्षा की शिक्षा धर्मशाला में स्थित डीएवी स्कूल से प्राप्त की थी। इसके बाद उन्होंने हिमाचल प्रदेश एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से कृषि क्षेत्र में ग्रेजुएशन किया था। अपना सपना पूरा करने के लिए शालिनी ने ग्रेजुएशन के साथ यूपीएससी की तैयारी भी की। वह अपने घरवालों को बिना बताए यूपीएससी एग्जाम की तैयारी में लगी रहती थीं। ऐसा इसलिए क्योंकि वह नहीं चाहती थीं कि सफलता ना मिलने पर उनके परिवार वाले हताश हो जाएं।
बिना कोचिंग के पहले अटेम्प्ट में मिली सफलता
शालिनी अग्निहोत्री ने यूपीएससी की तैयारी के लिए कभी कोचिंग नहीं की। मई 2011 में यूपीएससी का परीक्षा देने के बाद 2012 में उनके इंटरव्यू का परिणाम सामने आ गया था। इस परीक्षा में शालिनी अग्निहोत्री 285वें स्थान पर थीं।
बस कंडक्टर होने के बावजूद पिता ने बच्चों की पढ़ाई मैं नहीं आने दी एक भी कमी
शालिनी अग्निहोत्री की पढ़ाई-लिखाई में कभी किसी चीज की कमी नहीं आई। उनके पिता बस कंडक्टर थे मगर अपने बच्चों के पढ़ाई लिखाई के लिए वह बहुत मेहनत किया करते थे। उनकी मेहनत का ही परिणाम है कि उनके बच्चे अपने करियर में सफल हुए। शालिनी जहां आईपीएस ऑफिसर बनी वहीं उनकी बड़ी बहन डॉक्टर हैं और भाई आर्मी में हैं।