नई दिल्ली : सरकार ने बड़ा फैसला किया है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) अब शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा। सरकार इस बारे में थोड़ी देर में औपचारिक घोषणा करने वाली है। इसके वाला सरकार ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है। सरकार लंबे समय से शिक्षा नीति तैयार कर रही थी। इस शिक्षा नीति को काफी विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया है। वहीं, एमएचआरडी का नाम बदलकर सरकार ने चौंकाया है। शिक्षा के लिए अलग मंत्रालय की मांग लंबे समय से की जा रही थी। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कुछ दिनों पहले कहा था कि नई शिक्षा नीति विज्ञान, प्रौद्योगिकी और भारत केंद्रित अवधारणा पर आधारित है।
कुछ समय पहले जारी हुआ था मसौदा
बताया जा रहा है कि केंद्रीय मानव एवं संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक बुधवार शाम इस नई शिक्षा नीति के बारे में जानकारी देंगे। इस नई शिक्षा नीति में कॉलेज एवं स्कूल स्तर की शिक्षा शामिल है। इसके पहले मंत्रालय ने नीति का मसौदा जारी किया था और अलग-अलग हितधारकों से उनके सुझाव मांगे थे। इस दौरान मंत्रालय को करीब दो लाख सुझाव मिले। मंत्रालय को जो सुझाव मिले उनमें सभी स्कूल बोर्डों के लिए एक केंद्रीय नियामकीय संस्था बनाने पर जोर दिया गया। इसका मकसद देश के सभी स्कूलों में एक समान शिक्षा सुनिश्चित कराना है।
1986 में बनी शिक्षा नीति
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 2014 के लोकसभा चुनावों के समय अपने घोषणापत्र में नई शिक्षा नीति लाने का वादा किया था। देश की मौजूदा शिक्षा नीति 1986 में बनी और इसे 1992 में संशोधित किया गया। इसरो के पूर्व प्रमुख के कस्तूरीरंजन की अगुवाई वाले आयोग ने नई शिक्षा नीति पर अपना ड्राफ्ट केंद्रीय मंत्री निशंक को सौंपा।कैबिनेट की बैठक में एमएचआरडी का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय करने की भी मंजूरी दे दी गई। 1985 से पहले एमएचआरडी शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाता था।