यूक्रेन-रूस नहीं, इस देश में सबसे ज्यादा MBBS पढ़ने जाते हैं भारतीय छात्र

एजुकेशन
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated Mar 04, 2022 | 14:26 IST

Indian Students In Ukraine: हर साल औसतन 30-35 हजार छात्र-छात्राएं विदेश से MBBS पढ़कर,भारत में प्रैक्टिस के लिए परीक्षा देते हैं। लेकिन उनकी सफलता का प्रतिशत बेहद कम है।

FMGE Exam Ukraine and Russia War
भारत से चीन जाकर मेडिकल पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या ज्यादा  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • साल  2020 में 35774 बच्चों ने FMGE परीक्षा दी थी, जिसमें से केवल 5897 छात्र ही सफल हुए।
  • विदेश से MBBS करने वाले भारतीय छात्रों में करीब एक तिहाई चीन से डिग्री हासिल करते हैं।
  • चीन के बाद यूक्रेन और रूस जाने वाले छात्रों की बड़ी तादाद है।

Indian Students In Ukraine: तबाह होते यूक्रेन के बीच भारतीय छात्र  वहां से लगातार निकाले जा रहे हैं। यूक्रेन में मौजूद भारतीय दूतावास के आंकड़ों के अनुसार, युद्ध के पहले यूक्रेन में करीब 18 हजार भारतीय छात्र-छात्राएं रहते थे। इसमें से ज्यादातर मेडिकल की पढ़ाई करते थे। यह छात्र-छात्राएं हर साल प्रमुख रूप से वहां पर 6 साल के MBBS कोर्स के लिए जाते हैं। राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड के अनुसार 2020 में 4 हजार से ज्याद बच्चों ने यूक्रेन से डिग्री लेकर भारत में प्रैक्टिस के लिए FMGE (Foreign Medical Graduate Examination) दी थी। जबकि कुल परीक्षा देने वाले बच्चों की संख्या 35 हजार से ज्यादा था। इसी तरह 2019 में 3 हजार से ज्यादा बच्चों ने परीक्षा दी। साफ है कि बड़ी संख्या में छात्र MBBS की पढ़ाई के लिए यूक्रेन जा रहे हैं। लेकिन यह भी हकीकत है कि आम धारणा के विपरीत सबसे ज्यादा मेडिकल की पढ़ाई के लिए छात्रा यूक्रेन, रूस में नहीं  जा रहे हैं। बल्कि छात्र  चीन की ओर रूख कर रहे हैं।

चीन जाते हैं सबसे ज्यादा भारतीय बच्चे

राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (National Board of Examination)की साल 2020 की रिपोर्ट के अनुसार FMGE (Foreign Medical Graduate Examination) के तहत 35774 बच्चों ने परीक्षा दी थी। इसमें से 12380 बच्चे  चीन से मेडिकल की पढ़ाई कर लौटे थे। इसी तरह 2019  में 28,597 बच्चों ने परीक्षा दी थी, उसमे सें 10,620 बच्चे चीन से मेडिकल की डिग्री लेकर लौटे थे। यानी करीब एक तिहाई बच्चों चीन से मेडिकल की पढ़ाई की थे। ऐसा ही औसत 2015-18 के दौरान में भी रहा है।

देश साल 2019 (FMGE देने वाले छात्र) साल 2020 (FMGE देने वाले छात्र)
चीन 10620 12380
रूस 4313        3823
यूक्रेन 4258  3106
परीक्षा में बैठे कुल छात्र 28,597 35774


विदेश से भारत आकर परीक्षा में PASS होने का प्रतिशत बेहद कम

भले ही औसतन हर साल करीब 30-35 हजार बच्चे विदेश से डिग्री लेकर भारत में प्रैक्टिस की  उम्मीद कर रहे हैं। लेकिन प्रैक्टिस और पीजी की पढ़ाई के लिए जरूरी परीक्षा में सफलता का प्रतिशत बेहद कम है। राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड  2020 की रिपोर्ट के अनुसार 35774 बच्चों ने परीक्षा दी थी। जिसमें से केवल 5897 छात्र ही FMGE में सफल हुए। यानी  केवल 16.48 फीसदी छात्-छात्राएं  सफल हो पाए । इसी तरह साल 2019 में 28597 छात्र परीक्षा में बैठे, जिसमें से केवल 7375 छात्र ही सफल हुए। यानी सफलता का प्रतिशत केवल 25.79 फीसदी था। चीन और यूक्रेन से पढ़कर लौटने वाले छात्रों की सफलता का प्रतिशत में विभिन्न कॉलेजों में भी 20-25 फीसदी के करीब है।

क्या है FMGE

भारत सरकार के नियम के अनुसार जो छात्र विदेश के कॉलेज से मेडिकल की पढ़ाई करते हैं, उन्हें भारत में उच्च शिक्षा और डॉक्टर के रूप में प्रैक्टिस के लिए FMGE को पास करना अनिवार्य है। जिसका आयोजन राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड की ओर से हर साल दो बार किया जाता है। परीक्षा जून और दिसंबर महीने में आयोजित की जाती है। परीक्षा में सफल होने के लिए छात्रों को न्यूनतम 50 फीसदी अंक पाना जरूरी है। परीक्षा में सफल होने के बाद  छात्रों का मेडिकल कॉउंसिल ऑफ इंडिया (MCI)रजिस्ट्रेशन करता है। हालांकि ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड, यूनाईटेड किंगडम और अमेरिका से पढ़ने वाले छात्रों को FMGE परीक्षा पास करने की जरूरत नहीं है। 

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