National Mathematics Day: हर साल आज के दिन मनाया जाता है राष्ट्रीय गणित दिवस, जानें इसका इतिहास और महत्व

एजुकेशन
Updated Dec 22, 2020 | 06:15 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

National Mathematics Day: महान गणितीज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की जयंती के अवसर पर हर साल 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जाता है। यहां जानें इसका इतिहास और महत्व।

National Mathematics Day
राष्ट्रीय गणित दिवस 

राष्ट्रीय गणित दिवस (National Mathematics Day) हर साल 22 दिसंबर को मनाया जाता है। ये गणितीज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 2012 में चेन्नई में महान गणितज्ञ श्रीनिवास अयंगर रामानुजन की 125वीं वर्षगांठ के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय गणित दिवस की घोषणा की थी। तब से भारत में राष्ट्रीय गणित दिवस हर 22 दिसंबर को पूरे देशभर में स्कूलों और विश्वविद्यालयों में कई शैक्षिक कार्यक्रमों को आयोजित कर मनाया जाता है।

रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर 1887 को मद्रास में हुआ था। उन्होंने 12 साल की उम्र में त्रिकोणमिति में महारत हासिल की थी। उन्हें गणितज्ञों का गणितज्ञ भी कहा जाता है। मात्र 32 साल की उम्र में तपेदिक से उनका निधन हो गया। उन्होंने दुनिया को लगभग 3500 गणितीय सूत्र दिए थे। 

इस दिवस को मनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य है कि मानवता के विकास के लिए गणित के महत्व के बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाई जाए। रामानुजन को गणित में कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं मिला, फिर भी इन्होंने विश्लेषण एवं संख्या सिद्धांत के क्षेत्रों में गहन योगदान दिए। इन्होंने अपनी प्रतिभा और लगन से न केवल गणित के क्षेत्र में अद्भुत अविष्कार किए वरन भारत को अतुलनीय गौरव भी प्रदान किया। इन्होंने खुद से गणित सीखा और अपने जीवनभर में गणित के 3,884 प्रमेयों का संकलन किया। इनमें से अधिकांश प्रमेय सही सिद्ध किये जा चुके हैं।

ऐसी थी रामानुजन की कार्यशैली 

रामानुजन और इनके द्वारा किए गए अधिकांश कार्य अभी भी वैज्ञानिकों के लिए अबूझ पहेली बने हुए हैं। वह पुराना रजिस्टर जिस पर वे अपने प्रमेय और सूत्रों को लिखा करते थे 1976 में ट्रिनीटी कॉलेज के पुस्तकालय में मिला। करीब एक सौ पन्नों का यह रजिस्टर आज भी वैज्ञानिकों के लिए एक पहेली बना हुआ है। इस रजिस्टर को बाद में रामानुजन की नोट बुक के नाम से जाना गया। मुंबई के टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान द्वारा इसका प्रकाशन भी किया गया है। रामानुजन के शोधों की तरह उनके गणित में काम करने की शैली भी विचित्र थी। वे कभी कभी आधी रात को सोते से जाग कर स्लेट पर गणित से सूत्र लिखने लगते थे और फिर सो जाते थे। इस तरह ऐसा लगता था कि वे सपने में भी गणित के प्रश्न हल कर रहे हों।

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