India Students In Ukraine: भारत में कम सीटें और महंगी फीस की वजह से हर साल हजारों छात्र विदेश में MBBS की पढ़ाई के लिए जाते हैं। लेकिन जब वह पढ़ाई पूरी कर भारत लौटते हैं, तो उनके लिए यहां डॉक्टर के रूप में प्रैक्टिस करना आसान नहीं होता है। ऐसा इसलिए हैं क्योंकि इन छात्र-छात्राओं को भारत में प्रैक्टिस के लिए जो परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती है। उसमें सफलता की दर बेहद कम है। अगर पिछले दो साल के आंकड़ों को देखा जाय तो औसतन 21 फीसदी छात्र ही केवल सफल हो पाते है। वहीं अगर पिछले 5 साल के आंकड़े देखे जाय तो सफलता का प्रतिशत और कम हो जाता है।
क्या कहते हैं आंकड़े
राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (National Board of Examination)की साल 2020 की रिपोर्ट के अनुसार FMGE (Foreign Medical Graduate Examination) के तहत 35774 बच्चों ने परीक्षा दी थी। जिसमें से केवल 5897 छात्र ही सफल हुए। यानी सफलता की प्रतिशत केवल 16.48 फीसदी रहा था। इसी तरह साल 2019 में 28597 छात्र परीक्षा में बैठे, जिसमें से केवल 7375 छात्र ही सफल हुए। यानी सफलता का प्रतिशत केवल 25.79 फीसदी था। वहीं अगर 2015-20 की अवधि में देखा जाय औसतन 16 फीसदी छात्र सफल हुए हैं।
क्या है FMGE
जो भी छात्र विदेश के कॉलेज से मेडिकल की पढ़ाई करते हैं, उन्हें भारत में उच्च शिक्षा और डॉक्टर के रूप में प्रैक्टिस के लिए FMGE को पास करना अनिवार्य है। फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स एग्जामिनेशन का आयोजन राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड की ओर से हर साल दो बार किया जाता है। परीक्षा जून और दिसंबर महीने में आयोजित की जाती है। परीक्षा में सफल होने के लिए छात्रों को न्यूनतम 50 फीसदी अंक पाना जरूरी है। परीक्षा में सफल होने के बाद छात्रों का मेडिकल कॉउंसिल ऑफ इंडिया (MCI)रजिस्ट्रेशन करता है। हालांकि ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड, यूनाईटेड किंगडम और अमेरिका से पढ़ने वाले छात्रों को FMGE परीक्षा पास करने की जरूरत नहीं है। कम सफलता की एक वजह यह भी है कि कई देशों के पाठ्यक्रम भारत से थोड़े अलग होना भी है।
भारत में एडमिशन मिलना बेहद कठिन
भारत में फिलहाल एमबीबीएस की करीब 83 हजार सीटे हैं। और इसके लिए 2021 की नीट परीक्षा (NEET Exam) में करीब 16 लाख बच्चों ने रजिट्रेशन कराया था। यानी हर एक सीट के लिए 19 बच्चे एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर रहे थे। ऐसे में एडमिशन मिलना काफी कठिन होता है। जबकि विदेश में एडमिशन पाना आसान है। मसलन यूक्रेन और रूस में नीट में पास होने के बाद एडमिशन मिल जाता है। वहीं भारत में नीट में पास होने के बाद एडमिशन की गारंटी नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कम सीट होने के कारण कट ऑफ मार्क्स काफी ज्यादा रहता है। इसके अलावा विदेश में भारत के प्राइवेट मेडिकल कॉलेज की तुलना में पढ़ना काफी सस्ता है। जैसे कि यूक्रेन में MBBS की पढ़ाई की फीस 20-25 लाख रुपये हैं। जबकि भारत में 60-70 लाख रुपये का खर्च आता है।
अब होगी NEXT परीक्षा
18 नवंबर 2021 से पहले तक विदेश से एमबीबीएस की डिग्री लेने वाले छात्रों को भारत आकर स्क्रीनिंग टेस्ट रेग्युलेशन,2002 (Screen Test Regulation) के तहत FMGE की परीक्षा पास करनी होती थी। लेकिन अब सरकार ने नियम बदल दिए हैं। इसके तहत अब नए नियमों के आधार पर आयोजित NEXT परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी। नए नियम किन छात्रों पर लागू होंगे ,इसके विस्तृत नियम जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक किया जा सकता है ।
NEXT परीक्षा कब आयोजित होगी, इस पर जुलाई में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया की अध्यक्षता में नेशनल मेडिकल काउंसिल (NMC)की एक बैठक हुई थी। जिसमें यह तय किया गया था कि 2023 की पहली छमाही में नेशनल एग्जिट टेस्ट (एनईएक्सटी) आयोजित कराया जाएगा। इसके पहले मेडिकल छात्रों के बीच परीक्षा की घबराहट को दूर करने के लिए 2022 में एक मॉक रन की भी योजना है।
भारत में 83 हजार सीट पर 16 लाख बच्चे, ऐसा है MBBS में एडमिशन का प्रेशर, छुपा है नवीन के पिता का दर्द