सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई छात्रों को इंप्रूवमेंट परीक्षा में दी बड़ी राहत! अदालत ने खारिज की CBSE की नीति

SC direction to CBSE about Improvement Exam: सीबीएसई इंप्रूवमेंट परीक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बोर्ड को निर्देश दिए हैं कि इप्रूवमेंट में फेल होने वाले या कम अंक लाने वाले छात्रों को पिछली परीक्षा से अंक बरकरार रखने का मौका दिया जाए।

Supreme Court Decision about CBSE improvement Exam
सीबीएसई अंक सुधार परीक्षा पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय (फाइल फोटो / PTI) 
मुख्य बातें
  • सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई छात्रों को दिया इंप्रूवमेंट परीक्षा को लेकर विकल्प
  • अंतिम रिजल्ट के लिए अंक सुधार परीक्षा या पिछली परीक्षा में से परिणाम चुन सकेंगे
  • सीबीएसई बोर्ड की नीति को याचिका सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज

Supreme Court direction about CBSE Improvement Exam: बीते दिन शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई की पिछले साल जून की मूल्यांकन नीति में उस शर्त को खारिज कर दिया है जिसमें यह कहा गया था कि बाद की परीक्षा (अंक सुधार / इंप्रूवमेंट परीक्षा) में प्राप्त अंकों को कक्षा 12 के छात्रों के मूल्यांकन के लिए अंतिम माना जाएगा और छात्र अपने पुराने अंकों पर वापस नहीं जा सकेंगे।

उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने इस मामले की सुनवाई के बाद कहा कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) अंतिम परिणाम की घोषणा के लिये छात्र को अंतिम शैक्षणिक वर्ष में किसी विषय में प्राप्त दो अंकों में से बेहतर अंकों को स्वीकार करने का विकल्प देगा।

कोर्ट पिछले साल सीबीएसई की ओर से कक्षा 12वीं के अंकों में सुधार के लिए आयोजित परीक्षा में शामिल कुछ छात्रों की याचिका पर सुनवाई कर रही था और इस दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि 17 जून, 2021 की नीति के खंड-28 में प्रावधान के बारे में शिकायत आई है, जिसमें ऐसा कहा गया है कि 'नीति के अनुसार, बाद की परीक्षा में प्राप्त अंकों को अंतिम माना जाएगा।'

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सर्वोच्च अदालत ने कहा, 'हमें खंड-28 में उल्लेखित उस शर्त विशेष को खारिज करने में कोई हिचकिचाहट नहीं जिसमें बाद की परीक्षा में अर्जित अंकों को अंतिम माना जा रहा है।' कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं की शिकायत है कि यह शर्त पिछली नीति को हटाकर जोड़ दी गई है, जहां एक विषय में एक उम्मीदवार द्वारा प्राप्त किए गए दो अंकों में से बेहतर को रिजल्ट की अंतिम घोषणा में रखा जा सकता था।

याचिका निस्तारित करते हुए पीठ ने कहा कि उस नीति को अपनाए जाने की जरूरत थी क्योंकि छात्रों द्वारा महामारी संक्रमण के समय में चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना किया जा रहा है और यह अपने आप में उस प्रावधान को न्यायोचित ठहराता है जो छात्रों के लिए ज्यादा अनुकूल हो।

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