Teacher's Day: सर्व शिक्षा अभियान को देश में शुरू हुए 20 साल हो चुके हैं। इसके तहत शिक्षा को मौलिक अधिकार माना गया है। और 6-14 साल तक के बच्चों को शिक्षा मिलना उनका अधिकार है। लेकिन अगर देश के विभिन्न राज्यों में मौजूद स्कूल में शिक्षकों की संख्या दिया जाय। तो अलग ही तस्वीर सामने आती है। देश के प्रमुख राज्यों में 5.50 लाख से ज्यादा शिक्षकों के पद खाली है। ये पद कक्षा एक से कक्षा 8 वीं तक में खाली है। सबसे ज्यादा शिक्षकों के पद बिहार और यूपी में खाली हैं। इस बात का खुलासा जुलाई में हुई शिक्षा मंत्रालय की प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड की मीटिंग के दौरान हुआ है।
बिहार-यूपी में सबसे ज्यादा खाली पोस्ट
मीटिंग में जिन राज्यों ने खाली पदों की संख्या के बारे में जानकारी साझा की है, उसमें सबसे ज्यादा पद बिहार और यूपी में खाली हैं। रिपोर्ट के अनुसार बिहार में 1.87 लाख से ज्यादा पद खाली हैं। इसी तरह उत्तर प्रदेश में 1.26 लाख पद खाली हैं। इसके अलावा झारखंड में 77 हजार , पश्चिम बंगाल में 54,900 प्रमुख मध्य प्रदेश मे 69667 पद और छत्तीसगढ़ में 38692 पद खाली हैं।
राज्य | कितने पद खाली (कक्षा 1-8 वीं तक) |
बिहार | 187209 |
उत्तर प्रदेश | 126028 |
झारखंड | 74,357 |
मध्य प्रदेश | 69,667 |
पश्चिम बंगाल | 54,900 |
छत्तीसगढ़ | 38,692 |
कुल | 550,853 |
क्या है सर्व शिक्षा अभियान
सर्व शिक्षा अभियान भारत सरकार द्वारा प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए लाया गया कार्यक्रम है। जिसके लिए 86 वां संविधान संशोधन किया गया है। और इसके तहत 6-14 साल तक बच्चें को शिक्षा पाने का मौलिक अधिकार दिया गया है। यानी बच्चों को मुफ्त में शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी। इसके लिए ग्रामीण स्तर पर प्रत्येक एक किलोमीटर पर प्राथमिक विद्यालय खोलने का लक्ष्य रखा गया। अभियान की शुरूआत अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार ने साल 2000-2001 में की थी।
नई शिक्षा नीति सरकार ने की है लागू
मोदी सरकार ने अब नई शिक्षा नीति लागू कर चुकी है। इसके पहले साल 2021 में तत्कालीन शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने लोक सभा में जानकारी दी थी कि देश में कुल 61 लाख से ज्यादा शिक्षकों के पद खाली बैं। और उस वक्त 10 लाख से ज्यादा शिक्षकों के पद खाली थे। नई शिक्षा नीति को केंद्र सरकार द्वारा जुलाई 2020 में मंजूरी दी गई थी। इसके तहत 10+2 बोर्ड स्ट्रक्चर को खत्म कर दिया गया है.।जिसके तहत 5वीं तक प्रि-स्कूल, 6वीं से 8वीं तक मिड स्कूल, 8वीं से 11वीं तक हाई स्कूल और 12वीं से आगे ग्रेजुएशन कोर्स होंगे। इसके अलावा मातृ भाषा में शिक्षा पर जोर दिया गया है।