लखनऊ: उत्तर प्रदेश ने पिछले पांच सालों में चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाई है। उत्तर प्रदेश को मेडिकल एजुकेशन का हब बनाने के लिए बड़ा कदम उठाते हुए राज्य के सरकारी और निजी क्षेत्र में एमबीबीएस और पीजी की सीटों में लगातार बढ़ोत्तरी की जा रही है। चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा एमबीबीएस की 900 सीट बढ़ाने के बाद अब प्रदेश में पीजी में 20 प्रतिशत सीट की वृद्धि की है।
जिससे यहां के लोगों को गुणवत्तापरक चिकित्सा सुविधा मिल सकेगी। चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने बताया कि सरकारी तथा निजी मेडिकल कॉलेजों को मिलाकर पीजी की 518 सीटों की बढ़ोत्तरी हुई है जिससे डॉक्टरी की पढ़ाई करने वाले छात्रों को काफी फायदा हुआ है।
उल्लेखनीय है कि चिकित्सा के क्षेत्र में ये सारे बड़े निर्णय योगी सरकार द्वारा कोरोनाकाल में ही लिए गए हैं। आंकड़ों पर ध्यान दें तो वर्ष 2020-21 में प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में पीजी की 1064 सीट थी जो 2021-22 में बढ़कर 1382 हो गई हैं। वहीं सरकारी मेडिकल कॉलेजों पर नज़र डालें तो वर्ष 2020-21 में इनमें 1027 सीटें उपलब्ध थीं जिनमें इजाफा होने के कारण इनकी संख्या अब 1227 हो चुकी है।
कुल मिलाकर पिछले साल की 2091 सीटों की अपेक्षा इस साल सीटें बढ़कर 2608 हो चुकी हैं यानि की अब 518 और नए डॉक्टर पीजी की पढ़ाई कर सकेंगे। इसी तरह से सरकार ने एमबीबीएस डॉक्टर बनने की आस में बैठे छात्रों के लिए भी प्रदेश में 900 नई सीटों पर दाखिले का फैसला लिया था।
प्रदेश के नौ नए कॉलेजों में एमबीबीएस की पढ़ाई होगी। प्रत्येक कॉलेज में 100 सीटें हैं। इस लिहाजा से पिछले साल के मुकाबले इस साल 900 अधिक सीटों पर दाखिलें होंगे।
यूजी सीटों को देखें को वर्ष 2020-21 में प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में 4150 सीटें थी जो 2021-22 में बढ़कर 4500 हो गई हैं। वहीं सरकारी मेडिकल कॉलेजों पर नज़र डालें तो वर्ष 2020-21 में इनमें 2928 सीटें उपलब्ध थीं जिनमें इजाफा होने के कारण इनकी संख्या अब 3828 हो चुकी है। कुल मिलाकर देखा जाए तो पिछले साल की 7078 सीटों की अपेक्षा इस साल सीटें बढ़कर 8328 हो चुकी हैं यानि की अब 1250 और छात्र डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए दाखिला ले सकेंगें।
उत्तर प्रदेश आने वाले समय में मेडिकल एजुकेशन में अव्वल बनने की राह पर अग्रसर है। राज्य में लगातार स्वास्थ्य शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है। नए मेडिकल खुलने के साथ ही राज्य में डॉक्टर बनने का सपना देख रहे युवाओं के लिए अवसर पिछले पांच सालों में बढ़ाए गए।