कोरोना वायरस का कहर पूरी दुनिया पर छाया हुआ है। भारत भी इसकी चपेट में है। अब तक देश में कोरोना वायरस के हजारों केस आ चुके हैं। लेकिन सरकारें भी पूरी तन्मयता से कोरोना के खिलाफ लड़ रही हैं। इसी बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने एक अहम फैसला लिया है। कोरोना के इलाज में डॉक्टरों और नर्सों की कमी न हो, इस बात को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खास फैसला सुनाया है।
हाल ही में योगी आदित्यनाथ ऑफिस के आधिकारिक ट्विटर पर इसकी जानकारी दी गई। ट्वीट में लिखा था, 'मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी ने निर्देश दिए कि एम.बी.बी.एस. तथा नर्सिंग कोर्स के फाइलन ईयर के विद्यार्थियों को ट्रेनिंग देकर चिकित्सा संबंधी कार्य सौंपे जाएं, जिससे कोविड अस्पतालों में स्वास्थ्य कर्मियों की कमी न हो।'
ये एक बड़ा फैसला है। फाइनल ईयर के छात्र वैसे भी जल्द ही अपने-अपने प्रोफेशन में जुटने वाले थे। लेकिन योगी सरकार ने पहले ही उन्हें चिकित्सीय काम में लगाने का फैसला लिया है। साथ ही इन्हें प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। जिससे कोरोना को रोकने में मदद मिलेगी और डॉक्टर्स व नर्सों की कोई कमी नहीं होगी। एक अन्य ट्वीट में बताया गया, 'मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी ने निर्देश दिए हैं कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न चिकित्सालयों में इमरजेंसी सेवाओं के संचालन की अनुमति दी जाए। साथ ही, निजी मेडिकल कॉलेज तथा निजी चिकित्सालयों के चिकित्सकों, पैरामेडिकल एवं नर्सिंग स्टाफ को प्रशिक्षण दिया जाए।'
इसके साथ ही एक अन्य ट्वीट में बताया गया, 'मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि इमरजेंसी सेवाओं के संचालन के लिए चिकित्सालयों को 'कोविड केयर अस्पताल' तथा 'नॉन कोविड केयर अस्पताल' श्रेणी में वर्गीकृत किया जाए। नॉन कोविड केयर अस्पतालों में शेष रोगों से संबंधित इमरजेंसी उपचार सुविधा उपलब्ध होगी।'
गौरतलब है कि इससे पहले सीएम योगी आदित्यनाथ ने बेसिक, माध्यमिक, उच्च,प्राविधिक, चिकित्सा, नर्सिंग आदि की शिक्षा में ऑनलाइन पढ़ाई व्यवस्था को सुदृढ़ करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इसे व्यवस्थित और वृहद रूप दिया जाए, जिससे लॉक डाउन के कारण विद्यार्थियों की शिक्षा पर कोई प्रभाव न पड़े। मालूम हो कि कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन की अवधि को 3 मई तक बढ़ दिया गया है।