Bollywood Throwback: लता मंगेशकर को खाने में मिलाकर दिया गया था जहर, तबियत बिगड़ने से घबरा गई थीं गायिका

Bollywood Throwback of Lata Mangeshkar : बॉलीवुड की मशहूर प्‍लेबैक सिंगर लता मंगेशकर को जहर दिया गया था। इस बात का खुलासा गायिका ने खुद एक इंटरव्‍यू में किया था।

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Lata Mangeshkar  
मुख्य बातें
  • भारत रत्‍न समेत कई अवार्ड अपने नाम कर चुकी हैं लता मंगेशकर
  • साल 1962 में गायिका को दिया गया था जहर
  • तबियत खराब होने की वजह से 3 महीने बिस्‍तर पर गुजारे थे

Lata Mangeshkar was being slowly poisoned: बॉलीवुड की मशहूर गायिका और स्‍वर कोकिला के नाम से जानी जाने वाली लता मंगेशकर ने महज 13 साल की उम्र से अपना हुनर दिखाना शुरू कर दिया था। उन्‍होंने हिंदी समेत करीब 36 से अधिक भारतीय और विदेशी भाषाओं में गाने  रिकॉर्ड किए हैं। उन्‍होंने भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न हासिल करने समेत कई अवार्ड अपने नाम किए हैं, लेकिन क्‍या आपको पता है देश की शान कहलाने वाली लता मंगेश्‍कर को एक समय खाने में मिलाकर जहर दिया गया था। इससे उनकी तबियत बिगड़ गई थी। इस बात का खुलासा खुद गायिका ने एक इंटरव्‍यू में किया था। 

लंदन के फिल्मकार और भारतीय सिनेमा पर कई किताबें लिखने वाले मशहूर लेखक नसरीन मुन्‍नी कबीर को दिए इंटरव्‍यू में लता मंगेशकर ने बताया था कि  साल 1962 में उन्‍हें जहर दिया गया था, जिसके बाद उन्हें 3 महीने बिस्तर पर गुजारने पड़े थे। 

उन्‍होंने कहा था, "1962 में मैं लगभग तीन महीने तक बहुत बीमार रही। मैंने सोचा कि मैं फिर कभी नहीं गा पाऊंगी। एक दिन मैं अपने पेट में बहुत बेचैनी महसूस कर रही थी। तभी मुझे अचानक हरे रंग की उल्‍टी आई। ये देख मैं डर गई थी। घर पर  डॉक्टर आए और एक्स-रे मशीन भी घर ले आए क्योंकि मैं हिल नहीं सकती थी।  उन्होंने मेरे पेट का एक्स-रे किया और कहा कि मुझे धीरे-धीरे जहर दिया जा रहा है।" 

लता मंगेशकर ने इंटरव्‍यू में यह भी बताया कि जहर कौन दे रहा था। उन्‍होंने कहा, "घर में एक नौकर था जिसने खाना बनाया था। तभी ऊषा सीधे रसोई में गई और सभी से कहा कि अबसे वह खाना बनाएंगी। तभी नौकर बिना किसी को बताए और बिना कोई भुगतान लिए चुपके से चला गया। इसलिए हमेंलगा कि किसी ने उसे जानबूझकर लगवाया है, लेकिन हमें नहीं पता था कि वह कौन था।"

बता दें कि लता मंगेशकर ने अपने गायन की शुरुआत मराठी फिल्म किटी हसाल (1942) के गाने नाचू या गाड़े, खेलू सारी, मणि हौस भारी से की थी। उन्‍होंने लगभग एक हजार से अधिक हिंदी फिल्मों में गाने गाए हैं। उन्होंने मुख्य रूप से हिंदी, मराठी, बंगाली और असमिया में गाया है। साल 1989 में उन्‍हें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार प्राप्त हुआ। जबकि 2001 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। 

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