Bollywood women centric film: देशभर में आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है। बॉलीवुड में 50 के दशक से ही महिला प्रधान फिल्में बनाई जाती है। साल 1955 में आई फिल्म मिस्टर एंड मिसेज 55 को पहली नारीवादी फिल्म कहा जाता है। पिछले कुछ साल में बॉलीवुड में कई महिला प्रधान फिल्में बनाई जा रही है। यही नहीं, कई फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का कलेक्शन किया है।
साल 1957 में आई नरगिस की फिल्म मदर इंडिया (Mother India) को आज भी बॉलीवुड की सबसे बेहतरीन फिल्मों में गिनी जाती है। फिल्म में किसानों की गरीबी और उन पर साहूकारों द्वारा की गई अत्यचारों को दिखाया गया है। महबूब खान द्वारा डायरेक्ट ये फिल्म भारत की तरफ से ऑस्कर के लिए आधिकारिक एंट्री थी। फिल्म ने उस दौर में आठ करोड़ रुपए से अधिक की कमाई की थी।
क्वीन
साल 2013 में आई फिल्म क्वीन (Queen) ने बॉक्स ऑफिस में जबरदस्त कमाई की है। फिल्म में कंगना रनौत ने एक ऐसी लड़की का किरदार निभाया था, जो शादी टूट जाने के बाद भी हनीमून पैकेज में अकेले घूमने के लिए चली जाती है। फिल्म कंगना रनौत के करियर के लिए भी एक टर्निंग प्वाइंट साबित हुई थी। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 222 करोड़ रुपए से अधिक की कमाई की थी।
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इंग्लिश-विंग्लिश
साल 2012 में आई श्रीदेवी की फिल्म इंग्लिश विंग्लिश फिल्म बॉक्स ऑफिस में हिट रही थीं। गौरी शिंदे द्वारा डायरेक्ट इस फिल्म के जरिए श्रीदेवी ने एक लंबे वक्त बाद फिल्मों में वापसी की थी। फिल्म में दिखाया था कि कैसे एक शादीशुदा और दो बच्चों की मां इंग्लिश सीखने के लिए विदेश में क्लास ज्वाइन करती हैं क्योंकि उसके घरवाले उसकी अंग्रेजी का अक्सर मजाक बनाया करते हैं।
पिंक
साल 2016 में आई तापसी पन्नू, अमिताभ बच्चन की फिल्म पिंक ने समाज की एक काली सच्चाई को सामने लाया था। फिल्म ने दिखाया कि लड़कियों को कैसे उनके कपड़े और रात में बाहर निकलने के लिए जज किया जाता है। फिल्म का सबसे जरूरी मैसेज था कि यदि लड़की ना बोलती है तो उसका मतलब ना ही होता है। फिल्म में तापसी पन्नू के अलावा कीर्ती कुल्हारी और अमिताभ बच्चन लीड रोल में थे।
चक दे इंडिया
साल 2007 में आई फिल्म चक दे इंडिया को स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्मों में एक मील का पत्थर मना जाता है। फिल्म की कहानी कोच कबीर खान की थी, जो महिला हॉकी टीम को न सिर्फ वर्ल्ड कप ले जाते हैं बल्कि ये खिताब जीतकर भी लाते हैं।
राधिका आप्टे, सुरवीन चावला की फिल्म पार्चड में पुरुष प्रधान समाज की मानसिकता, महिलाओं पर अत्याचार, बाल विवाह जैसी समस्याओं को बहुत तीखे अंदाज़ में पेश किया गया है।
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