Kailash Kher Struggle: बॉलीवुड के मशहूर गायक कैलाश खेर ने मुंबई में कई साल तक संघर्ष किया और एक मौके का इंतजार किया। इसके बाद उन्हें फिल्म अंदाज में गाने का मौका मिला। इस फिल्म में कैलाश ने 'रब्बा इश्क ना होवे' में अपनी आवाज दी। हालांकि उन्हें इसके बाद फिल्म वैसा भी होता है में 'अल्ला के बंदे हम' गाना गाकर पहचान मिली। अब तक कैलाश को अपने गानों के लिए दर्जनों अवार्ड मिल चुके हैं।
22 भाषाओं में 1500 से अधिक गाने वाले कैलाश यूपी के मेरठ से ताल्लुक रखते हैं। 'तेरी दीवानी' और 'सैंया' जैसे रूहानी गाने गा कर हर उम्र के लोगों के दिलों पर राज करते हैं कैलाश खेर। कैलाश खेर की शैली भारतीय लोक संगीत से प्रभावित है। 7 जुलाई 1973 को उत्तर प्रदेश के मेरठ में जन्मे कैलाश खेर को संगीत मानों विरासत में मिली हो। उनके पिता पंडित मेहर सिंह खेर पुजारी थे और अक्सर घरों में होने वाले इवेंट में गाते थे। पिता का संगीत से लगाव था बावजूद इसके कैलाश खेर के लिए बॉलीवुड सिंगर बनने की राह आसान नहीं रही।
पद्मश्री कैलाश खेर अपने नए रियलिटी सिंगिंग शो 'स्वर्ण स्वर भारत' (Swarn Swar Bharat) को लेकर चर्चा में हैं। जल्द ही वह छोटे पर्दे पर नजर आएंगे। नवभारत टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कैलाश खेर ने अपने संघर्ष के बारे में बताया जो वाकई भावुक करता है। उन्होंने बताया, 'तब मैं दिल्ली में ही रहता था और 13 साल की उम्र में घर छोड़ कर भाग गया। मैं कई दिनों तक भूखा-प्यासा रहा। मैंने बहुत सारी विफलताएं देखी और लगातार हारने के बाद ये हुआ कि मैं हार बैठा और आत्महत्या का ख्याल मन में ले आया।'
कैलाश खेर ने बताया कि अपनी जीवन लीला समाप्त करने के लिए वह ऋषिकेश में गंगा जी में कूद गए। 1999 तक अपने एक फैमिली फ्रेंड के साथ एक्सपोर्ट का बिजनेस कर लिया था। लेकिन इस बिजनेस में उन्हें भारी घाटा हुआ। उनकी सारी जमा पूंजी खत्म हो गई। इस घाटे से कैलाश खेर डिप्रेशन में चले गए। काफी दिन तक डिप्रेशन से जूझने वाले कैलाश को सुसाइड तक के ख्याल आने लगे थे।
बता दें कि 13 साल की उम्र में कैलाश खेर मेरठ से दिल्ली आ गए थे। इतनी कम उम्र में वो संगीत सीखने घरवालों से लड़कर दिल्ली आए थे। यहां आकर उन्होंने संगीत की शिक्षा लेनी शुरू की और पैसे कमाने के लिए छोटा सा काम शुरू कर दिया। वह विदेशी लोगों को संगीत सिखाते और पैसे कमाते थे।
आगे कैलाश ने बताया कि 2002 में जब मैं मुंबई आया, तब भी मुझे काफी रिजेक्शन झेलना पड़ा। पहनने के लिए सही चप्पल तक नहीं थीं। टूटी चप्पल से ही स्टूडियो के चक्कर लगाए। एक दिन राम संपत ने एक ऐड का जिंगल गाने के लिए बुलाया, जिसके लिए उन्हें 5000 रुपए मिले और इस तरह काम शुरू हुआ।
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