ड्रग एडिक्ट थीं कंगना रनौत, जानें कैसे मौत को मात देकर बनीं बॉलीवुड की सक्सेसफुल स्टार

Kangana Ranaut Drug Addiction: कंगना रनौत ने अपने करियर में खूब उतार-चढ़ाव देखे हैं। एक लंबे स्ट्रगल के बाद आज कंगना खुद को इंडस्ट्री में सफल अभिनेत्री के रूप में स्थापित कर चुकी हैं।

Kangana Ranaut drug addiction And bollywood Struggling phase Inside Story
कंगना रनौत।  |  तस्वीर साभार: Instagram
मुख्य बातें
  • कंगना कनौत को करियर के शुरुआती दिनों में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा है।
  • कंगना ने कड़ी मेहनत कर खुद को इस मुकाम तक पहुंचाया है।
  • अब हाल ही में कंगना ने अपने उन दिनों को याद कर फैन्स को एक खास सीख दी है।

कंगना रनौत ने एक लंबे स्ट्रगल के बाद आज खुद को इंडस्ट्री में सफल अभिनेत्री के रूप में स्थापित कर चुकी हैं। हालांकि कंगना के लिए यहां तक पहुंचना आसान नहीं था। शुरुआती दिनों में कंगना कनौत में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उन्होंने कड़ी मेहनत की और करियर में खूब उतार-चढ़ाव भी देखे। हाल ही में कंगना रनौत ने अपने उन दिनों को याद कर फैन्स को एक सीख दी है कि बुरा वक्त ही हमेशा अच्छा होता है। 
कंगना रनौत ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो में कंगना ने बॉलीवुड में अपने संघर्ष के शुरुआती दिनों की कहानी सुनाई है। कंगना ने नवरात्रि के पांचवें दिन अपने प्रशंसकों को शुभकामनाएं भेजते हुए स्ट्रगलिंग डेज की बात की है। जिसमें उन्होंने इस बात का भी खुलासा किया है कि वो ड्रग एडिक्ट रही हैं।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
(@team_kangana_ranaut) on

कंगना रनौत बताती हैं, 'दोस्तों मैं 15 या 16 साल की थी जब अपने घर से भाग गई थी। मुझे ऐसा लगता था कि मैं अपने हाथों से तारों को पकड़ सकती हूं। ऐसा था भी तभी, मेरे घर छोड़ने के बाद मैं एक फिल्म स्टार और 1.5 साल के अंदर एक ड्रग एडिक्ट भी बन चुकी थी। इन सालों में मेरा जीवन इतना गड़बड़ा गया था कि मैं कुछ लोगों के बीच फंस चुकी थी और इनसे मुझे केवल मौत ही बचा सकती थी। यह सब मेरे जीवन में केवल उस समय हुआ जब मैं एक किशोरी थी।'
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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कंगना रनौत ने इसी वीडियो में बताया कि कैसे उनके एक दोस्त ने उनकी जान बचाई और आध्यात्मिकता के रास्ते पर लेकर आए। बकॉल कंगना, 'इसी बहुत बुरे समय में मेरे जीवन में एक बहुत अच्छा दोस्त आया जिसने मुझे योग से परिचित कराया और एक पुस्तक राजयोग दी। इसमें बहुत अच्छी प्रक्रियाएं हैं। उसके बाद मैंने स्वामी विवेकानंद को अपने गुरु के रूप में मान लिया और उनके मार्गदर्शन में खुद को बहुत तैयार किया। अगर वो चुनौतीपूर्ण समय मेरे जीवन में नहीं आता तो मैं भीड़ में खो जाती। आध्यात्मिक मार्गदर्शन के बिना मैं अपनी इच्छा-शक्ति विकसित करने में सक्षम नहीं होती। इसलिए बुरा वक्त ही हमेशा अच्छा वक्त होता है।' 

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