मुंबई: अपनी किताब 'खुल्लम खुल्ला' में दिवंगत अभिनेता ऋषि कपूर ने अपने पिता राज कपूर और अपने भाई बहन रणधीर और राजीव कपूर, रितु नंदा और रीमा जैन के साथ अपने संबंधों के बारे में विस्तार से लिखा था। उन्होंने अपने पिता की मौत के बारे में भी बात की और बताया कि इसका उनके परिवार पर क्या प्रभाव पड़ा।
2 जून, 1988 को राज कपूर का निधन हो गया था, वह अस्थमा से संबंधित बीमारी से जूझ रहे थे। बता दें कि अप्रैल 2020 में ल्यूकेमिया से ऋषि कपूर के निधन के बाद हाल ही में उनके भाई राजीव कपूर भी दुनिया को अलविदा कह गए और इसी वजह से कपूर परिवार इन दिनों चर्चा में बना हुआ है। उनका
खैर, ऋषि कपूर ने अपनी किताब में लिखा था कि उनके पिता के पास अलग-अलग जगहों से अलग-अलग चीजों को इकट्ठा करने का शौक था। उनके निधन के बाद, उनकी बेशकीमती चीजें 5 बच्चों के बीच बांटी गई थीं।
अभिनेता ने खुलासा किया था कि उनके पिता भगवान शिव के भक्त थे और गायिका आशा भोसले ने उन्हें उनके जन्मदिन के अवसर पर भगवान का चित्र भेंट किया था।
ऋषि कपूर ने लिखा, 'जब मेरे पिता का निधन हो गया, तो मेरी मां ने मुझे हार दे दिया था। वास्तव में, मेरी मां ने अपनी छोटी-छोटी चीजें हमें दे दी थीं। किसी को घड़ी मिली, किसी को कलम मिली। मेरे पिता को गुल्लक का शौक था वह दुनिया भर से मिले छुट्टे सिक्के वह इसमें जमा करते थे। उन्होंने कई चीजों को दुनिया के विभिन्न हिस्सों से एकत्र किया गया था।'
पिता की दुर्लभ बंदूकें और घड़ियां:
अभिनेता ने अपनी किताब में लिखा, 'मुझे नहीं पता कि पापा के हिप फ्लास्क किसे मिले। वह हमेशा एक अपने साथ रखते थे, हालांकि उन्होंने कभी भी इसे नहीं पिया। उन्होंने कई हाई-एंड घड़ियां भी ली थीं। डब्बू और चिम्पू (मेरा भाई राजीव) एक-दूसरे के थे। दो या तीन बहुत ही दुर्लभ बंदूकें भी थीं। मेरी मां के पास भी एक थी, जो फिल्म जिस देश मे गंगा बहती है (1960) के निर्माण के दौरान खरीदी गई थी। इनमें से एक मुझे विरासत में मिली और इसके लिए विशेष जरूरतें होती हैं- देखभाल और सफाई। हर चुनाव के दौरान, स्थानीय पुलिस इसे ले जाती है और अपने संरक्षण में रखती है। यह कानून है कि आप चुनाव के दौरान घर पर हथियार नहीं रख सकते।'
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