Nirbhaya Case: निर्भया के दरिंदों की फांसी टलने पर भड़के ऋषि कपूर, लिखा- तारीख पे तारीख

Nirbhaya Case: निर्भया केस के चारों दरिंदों की फांसी एक बार फिर टल गई है। तीन मार्च को होने वाली फांसी पर कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है। इस पर ऋषि कपूर ने सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा जाहिर किया है।

Rishi Kapoor
Rishi Kapoor 
मुख्य बातें
  • निर्भया केस में चारों दोषियों की फांसी की सजा तीसरी  बार टल गई है।
  • चारों दरिंदों की फांसी बार-बार टलने से बॉलीवुड सेलेब्स भी नाराज हैं।
  • ऋषि कपूर ने सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा जाहिर किया है। 

मुंबई. निर्भया केस में चारों दोषियों- अक्षय ठाकुर, मुकेश सिंह, विनय शर्मा और पवन गुप्ता की फांसी की सजा तीसरी  बार टल गई है। कोर्ट ने चारों के डेथ वारंट चौथी पर अनिश्चित काल के लिए रोक लगा दी है। चारों दरिंदों की फांसी बार-बार टलने से बॉलीवुड सेलेब्स भी नाराज हैं। अब ऋषि कपूर ने सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा जाहिर किया है। 

ऋषि कपूर ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा- निर्भया केस। तारीख पे तारीख, तारीख पे तारीख, तारीख पे तारिख-'दामिनी।' बहुत ही भद्दा! ऋषि कपूर के अलावा कंगना रनौत की बहन रंगोली चंदेल ने भी सोशल मीडिया पर फांसी टलने पर गुस्सा जाहिर किया। 

रंगोली चंदेल ने सोशल मीडिया पर लिखा- शुक्रिया निर्भया केस में एक बेहतरीन उदाहरण स्थापित करने के लिए। उनकी मां पिछले सात साल चार महीने में ढंग से सोई नहीं है। वहीं, क्रिमिनल जेल में हंस रहे हैं। गैंगरेप एक ट्रेंड बन गया है, क्योंकि आप आसानी से बच सकते हैं। 

 

 

तीसरी बार डेथ वारंट पर रोक 
निर्भया केस में सबसे पहला डेथ वारंट 22 जनवरी के लिए जारी किया गया था। हालांकि, सभी दोषियों के पास मौजूद कानूनी विकल्प को देखते हुए फांसी टाल दी गई थी। इसके बाद एक फरवरी को फांसी की तारीख दी गई थी।

1 फरवरी को भी दोषियों के पास कानूनी विकल्प को देखते हुए फांसी टाल दी गई थी। इसके बाद कोर्ट ने तीन मार्च का डेथ वारंट जारी किया था। हालांकि, इससे एक दिन पहले ही फांसी फिर टाल दी गई। 

निर्भया की मां ने कही ये बात 
गुनहगारों की फांसी जब तीसरी बार टली तो निर्भया की मां झुंझला गई उन्होंने कहा कि पूरा सिस्टम ही दोषी है। अदालतें भी ड्रामा देख रही हैं। यही नहीं पूरी दुनिया देख रही है कि भारत में किस तरह से न्याय देने में देरी की जा रही है। 


निर्भया की मां ने कहा कि कानून दांवपेंच की मदद से दोषी बचने की कोशिश कर रहे हैं। अदालतें भी इस हकीकत को स्वीकार करती हैं। लेकिन कुछ नहीं हो रहा है। ऐसा लगता है कि विधिक व्यवस्था भी अपराधियों को सपोर्ट करने में जुटी हुई है।  

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