बोलती आंखों और हर भाव को चेहरे पर उतारने में बखूबी माहिर हैं संजय मिश्रा। यूं तो उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की थी 1991 में। वह चाणक्य धारावाहिक में नजर आए थे। लेकिन लोगों के बीच उनकी पहचान बनी 1999 के वर्ल्ड कप के दौरान। उस समय मौका-मौका ऐड बहुत आता था जिसमें संजय मिश्रा को दर्शकों ने एप्पल सिंह के किरदार में देखा। बस उनका वही रूप दर्शकों के दिलों में बस गया।
टीवी ने एक बार फिर दिलाई पॉपुलैरिटी
टीवी ने संजय मिश्रा को उनका एक और पॉपुलर किरदार भी दिया। हिट कॉमेडी शो ऑफिस ऑफिस में संजय मिश्रा ने शुक्लाजी का किरदार निभाया था जिसे दर्शकों ने भरपूर प्यार दिया। यहां से मिली लोकप्रियता के बाद संजय मिश्रा के लिए बॉलीवुड के दरवाजे खुल गए। करैक्टर रोल्स में जान फूंक देने वाले संजय मिश्रा ने अब तक 100 के करीब फिल्मों में काम किया है। आंखों देखी और मसान में तो वह अभिनय का मानो एक स्कूल ही बन गए।
करते थे स्कूल बंक
संजय मिश्रा बचपन से ही शरारती और अपने मन की करने वाले थे। बिहार के दरभंगा में 6 अक्टूबर 1963 को जन्मे संजय मिश्रा अक्सर स्कूल बंक करते थे। एक बार उनकी दादी ने उनको पान वाले के पास पान बनाते देख लिया था। जिस पर उनकी खूब खबर ली गई थी। लेकिन संजय का मनमौजी नेचर बदला नहीं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एनएसडी से उनको इसी व्यवहार के चलते बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था।
जब छोड़ गए थे बॉलीवुड
संजय मिश्रा की लाइफ में निराशा का भी एक बड़ा दौर था। पिता के निधन और करियर में अपेक्षित सफलता न मिल पाने की वजह से वह टूट गए थे। संजय ने ऋषिकेश में एक ढाबे पर काम किया। संजय मिश्रा को धीरे धीरे लोग पहचानने लगे और वहां उनसे मिलने आने लगे। हालांकि, उनकी लाइफ में टर्निंग प्वाइंट तब आया जब रोहित शेट्टी ने उन्हें आल द बेस्ट के लिए साइन किया। वह रोहित के साथ इससे पहले गोलमाल में काम कर चुके थे।
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