Irrfan Khan Throwback: 29 अप्रैल दोपहर के 12 बजे भी नहीं थे कि हिंदी सिनेमा के प्रतिभाशाली और बेहतरीन अभिनेता इरफान खान ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। ‘कुछ इस तरह निभाओ अपना किरदार, कि परदा चाहे गिर जाए, पर तालियां बजती रहें'। सच, इरफान खान ने अपनी जिंदगी में ऐसे ही किरदार निभाए जिन्हें देखकर सदियों तक तालियां बजती रहेंगी। इरफान खान भले ही इस दुनिया से रुखसत हो गए हों, लेकिन उनकी कला हमेशा हमारे बीच रहेगी। वो कभी नहीं मरेगी।
पांच मार्च 2018, वह दिन मनहूस दिन जब इरफान खान की आवाज ने टूटना शुरू किया था औ उनके शरीर ने झुकना शुरू किया था। शाम चार बजकर छह मिनट पर उन्होंने ट्विटर पर एक पोस्ट लिखी- "कभी- कभी आप जगते हैं और पाते हैं कि आप की जिंदगी पूरी तरह से हिल चुकी है। बीते 15 दिन में मेरी जिंदगी अनिश्चितता की कहानी बन गई है। मुझे इसके बारे में अंदाजा भी नहीं था कि दुर्लभ कहानियों की तलाश करते-करते मुझे एक दुर्लभ बीमारी मिल जाएगी। हालांकि मैंने कभी आशा का दामन नहीं छोड़ा और हमेशा अपने पसंद के लिए लड़ाई लड़ी और हमेशा लड़ूंगा।"
"मेरा परिवार और मेरे दोस्त मेरे साथ हैं और हम सब फिलहाल इस बीमारी से निकलने के अच्छे रास्ते तलाश रहे हैं। इस कोशिश के दौरान कृपया अटकलें न लगाएं क्योंकि एक सप्ताह- दस दिन के भीतर मैं खुद ही आपके साथ अपनी कहानी साझा करूंगा। तब तक के लिए मेरे लिए दुवाएं और प्राथनाएं करें।" इस पोस्ट के आते ही फिल्म जगत में मानो कोहराम मच गया हो। इरफान खान को एक ऐसी बीमारी है जो बहुत दर्द देती है, जो अंदर ही अंदर खाती है। क्या परिवार, क्या सितारे और क्या उनके फैंस, ऐसा कौन था जिसने उनके लिए सलामती की दुआ ना मांगी हो।
दर्द से कराहते हुए इरफान ने कहा था कि उनकी जिंदगी एक सस्पेंस है। तब उनके साथ इस बीमारी से जंग लड़ रही उनकी पत्नी सुतापा सिकदर ने कहा था- 'हम लड़ेंगे और जीत लेंगे।' सुतापा ने सोशल मीडिया पर लिखा था- 'मेरा सबसे अच्छा दोस्त और मेरा साथी एक 'योद्धा' है, वह जबरदस्त अंदाज और सुंदरता के साथ हर तरह की मुश्किल से लड़ रहा है। मैसेज का जवाब नहीं देने और कॉल्स नहीं ले पाने के लिए मैं माफी मांगती हूं। लेकिन मैं आप सभी की दुनिया भर से आ रही प्रार्थनाओं, चिंताओं और शुभकामनाओं के लिए हमेशा ऋणी हूं। मैं भगवान और मेरे साथी की आभारी हूं जिसने मुझे भी एक वॉरियर (योद्धा) की तरह बना दिया है।'
'मौजूदा हाल की बात करूं तो मैं एक ऐसे युद्ध के मैदान में खड़ी हूं जहां मैं इस जंग को जीतने के लिए स्ट्रेटजी पर फोकस कर रही हूं। मैं जानती हूं इरफान के फैन्स और दोस्तों के स्नेह की बदौलत मैं इस जंग को जीत ही लूंगी।' इरफान और सुतापा ने यह जंग साथ मिलकर लड़ी और जीत के करीब भी पहुंचे। लेकिन अंत...आंसुओं का सैलाब है।
फिल्म गुंडे में इरफान ने ही तो कहा था- 'किस्मत की एक खास बात होती है कि वो पलटती है।' मदारी फिल्म का इरफान का डायलॉग याद है ना- तुम मेरी दुनिया छीनोगे, मैं तुम्हारी दुनिया में घुस जाऊंगा। खुदा ने इरफान की हंसती-खेलती दुनिया छीनी और वे खुदा की दुनिया में ही चल दिए। आखिर 'हासिल' में कहा है- जान से मार देना बेटा, हम रह गये ना, मारने में देर नहीं लगायेंगे, भगवान कसम।
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