मुंबई: बॉलीवुड एक्ट्रेस दीया मिर्जा टाइम्स नाउ समिट 2021 में पहुंचीं, जहां अभिनेत्री ने खुलकर बातचीत की। दीया मिर्जा ने यहां जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर विषय पर बात की। इस मौके पर Times Now की कंसल्टिंग एडिटर (Politics) पद्मजा जोशी से दीया मिर्जा के साथ पर्यावरणविद् वंदना शिवा ने भी भारत में क्लाइमेट चेंज को लेकर अपने विचार रखे। जैसा कि हम सभी जानते हैं दीया मिर्जा क्लाइमेट के लिए UN Goodwill Ambassador हैं। चर्चा के दौरान एक्ट्रेस ने बताया कि आखिर उनकी इस यात्रा की शुरुआत कैसे हुई।
दीया मिर्जा ने बताया कि साल 1981 में वो पैदा हुई थीं और यही वो वक्त था जब पहली बार क्लाइमेट चेंज की चर्चा अस्तित्व में आई थी। 'जब मैंने स्कूल जाना शुरू किया तो पृथ्वी से अपने रिश्ते के बारे में जाना। तब मुझे इस बारे में पता चला कि कैसे पृथ्वी और पर्यावरण से हमारा पर्सनल नाता है। बाद में फिल्म इंडस्ट्री में काम करने के साथ मैं कई एनजीओ से भी जुड़ी रही। जिसमें कैंसर पीड़ितों के लिए काम करने वाले एनजीओ भी रहे। जहां ये जाना कि कैंसर अब छोटे बच्चों, महिलाओं और युवाओं में काफी तेजी से फैल रहा है।'
'जब मैंने इन सबके पीछे की जड़ पर रिसर्च किया तो इसका जिम्मेदार पर्यावरण में हो रहे बदलाव को पाया। प्रदूषण वाली जमीन, प्रदूषित खाना और हवा, क्लाइमेट चेंज और एयर पॉल्यूशन ये सभी स्वास्थ्य मुद्दे की वजह हैं। तब मुझे ये लगा कि ऐसा क्या हर दिन परिवर्तन लाना चाहिए ताकि मैं सब चीजों को ठीक करने में मदद का हाथ बढ़ा सकूं। खुद से सवाल किया, क्योंकि ये पर्सनल सवाल है कि हम अपने पर्यावरण को कैसे बचाएं? इस तरह से मेरी यात्रा की शुरुआत हुई।'
फास्ट फैशन पर दीया मिर्जा का अहम सवाल
दीया मिर्जा ने इस दौरान कई अहम सवालों के साथ रोजमर्रा की चीजों पर भी ध्यान खींचा। एक्ट्रेस ने बताया कि कैसे फास्ट फैशन और इसके हानिकारक प्रभाव प्लेनेट पर बुरा असर डाल रहे हैं। जीवन में छोटी-छोटी चीजों के बारे में कैसे एक सचेत निर्णय लें, इस पर विस्तार से बताते हुए दीया ने कहा कि एक जोड़ी जींस बनाने में 2,000 लीटर पानी लगता है, यही वजह है कि वह अपने सभी फैसलों के बारे में जागरूक है। वह कपड़े चुनने से लेकर सब्जियां खाने तक का चुनाव बढ़े ध्यान से करती हैं।
प्लास्टिक फ्री बनने के लिए हो रहा काम
संयुक्त राष्ट्र सद्भावना राजदूत बनने के बाद दीया मिर्जा का पहला सवाल प्लास्टिक यूज को लेकर था। क्योंकि देशभर में हर जगह प्लास्टिक का इस्तेमाल हो रहा है। हर समान पैक करने के लिए इसे उपयोग में लिया जाता है लेकिन इसे खत्म कैसे करना है इसकी प्लानिंग कहां है? दीया का कहना है कि हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने प्लास्टिक बैग को खत्म करने का बड़ा निर्णय लिया, जो कि सराहनीय है। इस प्रयास की ओर अग्रसर हम अभी नवंबर 2021 में हैं लेकिन प्लास्टिक फ्री भविष्य की ओर क्या वाकई हम बढ़ रहे हैं? लेकिन क्या जमीनी स्तर पर ये वास्तविकता में काम कर रहा है? हमें अगर वाकई प्लास्टिक फ्री देश बनना है तो सिर्फ कम उपयोग करके हम इसे हल नहीं कर सकते हैं। हमें लोकल को प्रमोट करना चाहिए, हमें सीजनल फूड-सब्जियां खाना चाहिए, हमें ऑर्गेनिक फूड को बढ़ाना देना होगा।
इस दौरान पर्यावरणविद् वंदना शिवा ने बताया कि हमें फिर से ऑर्गेनिक खेती की ओर बढ़ना पड़ेगा। इससे ना सिर्फ हमारी मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ेगी बल्कि साथ में हमें केमिकल फ्री फूड मिलेगा। जिसके जरिए बच्चों को पोषण मिलेगा। क्योंकि आज हम फर्टिलाइजर लेकर खेती तो अच्छी कर लेते हैं लेकिन क्या वाकई इसकी गुणवत्ता पर कभी सवाल किया है? इसलिए किसानों को खेती की पारंपरिक स्टाइल को फॉलो करना होगा। हमारे वेस्ट को मैनेज करना होगा, ताकि ये पर्यावरण को हानि नहीं पहुंचाए।
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