Kota Factory 2 review: दमदार कहानी और शानदार कलाकार, जीतू भइया का फिर चला जादू

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Netflix Kota Factory 2 Review: नेटफ्लिक्स पर बहुचर्चित वेबसीरीज कोटा फैक्ट्री का दूसरा सीजन रिलीज हो गया है। एक्‍टर जितेंद्र कुमार ने अपनी परफॉर्मेंस से फैंस का दिल जीत लिया है।

Kota Factory 2 Review,
Kota Factory 2 Review 
मुख्य बातें
  • वेबसीरीज कोटा फैक्ट्री का दूसरा सीजन रिलीज हो गया है।
  • नेटफ्लिक्स पर बहुचर्चित वेबसीरीज कोटा फैक्ट्री का दूसरा सीजन।
  • एक्‍टर जितेंद्र कुमार ने अपनी परफॉर्मेंस से फैंस का दिल जीत लिया है।

Netflix web series Kota Factory 2 Review: भारत की पहली ब्लैक एंड व्हाइट वेब सीरीज ‘कोटा फैक्ट्री’ के दूसरे सीजन का इंतजार खत्‍म हो गया है। नेटफ्लिक्स पर बहुचर्चित वेबसीरीज कोटा फैक्ट्री का दूसरा सीजन रिलीज हो गया है। 'कोटा फैक्ट्री' ओटीटी जगत की सबसे लोकप्रिय वेबसीरीज में से एक है जिसने व्‍यूज के मामले में कीर्तिमान स्‍थापित किए हैं। यह वेबसीरीज कोचिंग करने वाले छात्रों के जीवन पर आधारित है जो बच्‍चों के दैनिक जीवन और उनकी समस्‍याओं को द‍िखाने का काम करती है। 

 'कोटा फैक्ट्री' (Kota Factory 2) कोटा शहर के चारों ओर घूमती है। यह कहानी वैभव, उदय, शिवांगी, मीना और जीतू भैया की कहानी है। इस सीरीज में अभिनेता जितेंद्र कुमार, मयूर मोरे, रंजन राज, आलम खान, अहसास चन्ना, रेवती पिल्लई और उर्वी सिंह मुख्‍य भूमिकाओं में हैं। 

राजस्‍थान का शहर कोटा कोचिंग मंडी के रूप में पूरे देश में विख्‍यात है। इंजीनियरिंग और मेडिकल की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने देशभर से युवा यहां पहुंचते हैं। यहां ना जाने कितनी उम्‍मीदें लेकर छात्र आते हैं लेकिन यहां आकर उनकी जिंदगी की नई कहानियों की शुरुआत होती है। 

इस सीजन में प्रॉडिजी क्लासेस को जीतू भैया (जितेंद्र कुमार) ने अलविदा कह दिया है और अपना सेंटर, एमर्स (लक्ष्य साधने वाले) शुरू करना चाहते हैं। वैभव पांडे यानि मयूर मोरे को माहेश्‍वरी क्‍लासेज में दिक्‍कत आ रही है और वर्तिका (रेवती पिल्लई) से उसकी लव स्‍टोरी कुछ आगे बढ़ती है। मीना उर्फ बालमुकुंद पांडे (रंजन) को टेंशन है कि मीनल पारेख (उर्वी सिंह) ने उसके दिल में जगह बना ली है जिसकी वजह से उसकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है। सभी किरदारों के सामने अपनी परेशानियां और परिस्थितियां हैं। 

सभी कलाकारों ने अपने किरदारों को बेहतरीन तरीके से निभाया है लेकिन जीतू भइया एक बार फ‍िर कमाल कर गए हैं। अपना कोचिंग शुरू करने में जो जो मुश्‍किलें आ रही हैं, उनका वह हंसते हंसते सामना करते हैं। वह अपने स्‍टूडेंट्स की निजी समस्‍याओं का भी चुटकी में समाधान कर रहे हैं और एक अच्‍छे मार्गदर्शक के रूप में सामने हैं। यह सीरीज प्रतियोगी परीक्षाओं के परिणामों के दौरान कोटा के वातावरण को सामने लाती हैं। 

स्क्रिप्ट और परफॉर्मेंस के स्तर पर कोटा फैक्ट्री दर्शक को बांधे रहती है। इस सीरीज का निर्देशन राघव सुब्बू ने किया है। वह कहते हैं कि एक निर्देशक के रूप में, मैं ऐसी कहानियां बनाने की कोशिश करता हूं जो दर्शकों को प्रेरित और रोमांचित करें। निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि राघव सुब्‍बू ने बेहतरीन निर्देशन किया है, वहीं नीत बत्रा, सौरभ खन्ना, अरुणाभ कुमार ने अच्‍छी कहानी लिखी है।

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