Mirzapur Season 2 Review: पूर्वी उत्तर प्रदेश के शहर मिर्जापुर में वर्चस्व की लड़ाई बदले में तब्दील हो गई है। अमेजन प्राइम के इस पॉपुलर शो के पहले सीजन के दो साल मिर्जापुर 2 रिलीज हो गया है। पहले सीजन की सफलता के बाद इस सीजन से वैसे ही उम्मीदें हैं, जैसा एक साल पहले सेक्रेड गेम्स 2 से थी। मिर्जापुर दो ने निराश नहीं किया है।
मिर्जापुर 2 की शुरुआत वहीं से होती है, जहां से पहला सीजन खत्म हुआ था। मुन्ना त्रिपाठी (दिव्येंदु शर्मा) ने बबलू पंडित (विक्रांत मैसी), स्वीटी (श्रिया पिलगावंकर)को गोलियों से भून दिया है। वहीं, गुड्डू पंडित और गोलू गुप्ता (श्वेता त्रिपाठी), डिंपी (हर्षिता गौर) किसी घायल शेर-शेरनी की तरह बदले लेने के लिए तैयार है।
कालीन भैया (पंकज त्रिपाठी) मिर्जापुर के सबसे ताकतवर आदमी बन गए हैं, जिनका जल्द ही पूरे शहर में एकछत्र राज करने की तरफ है। कहानी इस बार मिर्जापुर से चलकर लखनऊ तक पहुंच चुकी है। रति शंकर शुक्ला को मारने के बाद उनका बेटा शरद (अंजुम शर्मा) गुड्डू पंडित से बदला लेने के लिए उतावला है, जिसने दिन दहाड़े उसके पिता का कत्ल कर दिया था।
पहले दो एपिसोड को देखने के बाद कह सकते हैं कि मिर्जापुर 2 ने फैंस को निराश नहीं किया है। इन दो एपिसोड में कहानी आगे के सफर के लिए अपना रास्ता बना रही है। बाऊजी (कुलभूषण खरबंदा), कालीन भैया और मुन्ना भैया की तिकड़ी का कोई तोड़ नहीं है। वहीं, शरद इस खेल में छुपा रुस्तम साबित हो सकता है।
एक्टिंग और परफॉर्मेंस
एक्टिंग और परफॉर्मेंस की अब बात करें तो अखंड त्रिपाठी उर्फ कालीन भैया के तौर पर पंकज त्रिपाठी ने साबित कर दिए था किसी भी किरदार में वह कैसे जान फूंक सकते हैं। मुन्ना भैया के साथ उनके सीन इस शो की आत्मा है।
मुन्ना भैया यानी दिव्येंदु शर्मा के परफॉर्मेंस की बात करें तो वह इस सीरीज का सबसे क्रूर किरदार है, लेकिन फैंस उनकी क्रूरता को काफी पसंद करने जा रहे हैं। वहीं, पिछले सीजन से इस बार गुड्डू पंडित (अली फजल) सबसे खतरनाक किरदार है। वहीं, गोलू गुप्ता के किरदार में श्वेता त्रिपाा का नया अवतार देखने को मिला है। काफी
डिंपी को किरदार को पहले सीजन में ज्यादा मौका नहीं मिला था, लेकिन दूसरे सीजन के पहले दो एपिसोड में उन्हें काफी स्क्रीन टाइम दिया गया है। राजेश तेलंग और शीबा चड्ढा की नेचुरल परफॉर्मेंस आपको इमोशनल कर सकती है।
पहले सीजन से अलग दूसरे सीजन में बीना त्रिपाठी के किरदार में रसिका दुग्गल एक अलग अवतार में नजर आई हं। इस बार वह बाबूजी समेत अपने किसी भी दुश्मन को छोड़ने वाली नहीं है। वहीं, बाबूजी के किरदार में कुलभूषण खरबंदा ने साबित कर दिया कि वह ही सबसे खतरनाक त्रिपाठी हैं।
कमजोर और मजबूत कड़ी
मिर्जापुर के पहले सीजन के बाद सीरीज के डायरेक्टर गुरमीत सिंह और मिहिर देसाई के लिए इस बार पहले से ज्यादा बड़ी चुनौती थी। इस बार भी वह दर्शकों को बांधे रखने में कामयाब हुए हैं। शो आपको एक एपिसोड खत्म होने के बाद दूसरा एपिसोड देखने को मजबर करेगा।
मिर्जापुर 2 पहले सीजन के मुकाबले थोड़ा स्लो है, लेकिन आपको अपनी सीट पर बैठे रहने के लिए मजबूर करने के लिए काफी है। जैसे-जैसे आप आगे बढ़ेंगे आपको लगेगा कि पिछले एपिसोड तूफान से पहले की शांति है।
डायरेक्शन के अलावा सीरीज की सिनेमेटोग्राफी और डायलॉग्स पिछले सीजन की तरह शानदार है। हालांकि, शो में कॉमेडी की गुंजाइश कम है, लेकिन मेकर्स ने काफी स्मार्ट तरीके से ह्यूमर डाला है। खासकर पंकज त्रिपाठी का किरदार जो आपके चेहरे पर मुस्कान ला देगा।
मिर्जापुर 2 का दर्शक पिछले दो साल से इंतजार कर रहे थे। दो एपिसोड देखने के बाद ये कहा जा सकता है कि उनका इंतजार सफल हुआ है। मिर्जापुर 2 सफल रहे अपने पहले सीजन की कहानी को बेहतरीन ढंग से आगे बढ़ा रहा है।
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