Mumbai Saga Review in hindi: एक्शन, ड्रामा और डायलॉगबाजी से भरपूर जॉन अब्राहम एवं इमरान हाशमी की फिल्म मुंबई सागा रिलीज हो गई है। कोरोना के बाद रिलीज होने वाली यह बड़ी फिल्म है। फिल्म मुंबई सागा में इमरान हाशमी के और जॉन अब्राहम पहली बार साथ काम कर रहे हैं। क्राइम क्राइम ड्रामा इस फिल्म में जॉन अब्राहम गैंगेस्टर की भूमिका में नजर आए हैं। ये 80 और 90 के दशक की कहानी है, जिसमें मुंबई में मिल की जगह मॉल्स और बड़ी-बड़ी बिल्डिंग ने ले ली है। इस फिल्म में बॉम्बे के मुंबई बनने की कहानी होगी। फिल्म मुंबई सागा में इमरान हाशमी और जॉन अब्राहम के अलावा सुनील शेट्टी, जैकी श्रॉफ, अमोल गप्ते, प्रतीक बब्बर, गुलशन ग्रोवर और रोहित रॉय भी मुख्य भूमिका में दिखाई देंगे।
फिल्म में दिखाया गया है अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए जॉन अब्राहम कई मर्डर करते हैं और एक जाने माने उद्योगपति को बीच रास्ते पर ठोंक देते हैं। उसके बाद ऐलान होता है कि जो पुलिसवाला उनके सिर में गोली मारेगा उसे 10 करोड़ का इनाम मिलेगा। इसके बाद आते हैं इमरान हाशमी और उनका मकसद होता है जॉन को खत्म करना। "टाइम तो सबका आता है, मेरा दौर आएगा", जेल के एक बैरक में बैठा अर्मत्य राव (जॉन अब्राहम) अपने दुश्मन गायदोंडे (अमोल गुप्ते) से कहता है। तीन दोस्तों के साथ मिलकर जल्द ही अर्मत्य बॉम्बे का एक नया गैंगस्टर बनकर उभरता है.. दादर से बायकुला तक उसका राज चलता है। लेकिन इस बीच एंट्री होती है एनाउंटर स्पेशलिस्ट इंस्पेकटर विजय सवांरकर (इमरान हाशमी) की।
फिल्म में बालासाहेब ठाकरे से प्रेरित एक किरदार है, भाऊ (महेश मांजरेकर).. जो अपनी सभा में कहते हैं- "मुंबा देवी का शहर है ये, हमारी आई है.. तो आज से शहर का नाम होगा मुंबई.." फिल्म 80 के दशक में मुंबई के अंडरवर्ल्ड की दुनिया पर आधारित है। अम्रत्या राव का किरदार मुंबई के गैंगस्टर डीके राव पर आधारित है। डीके राव कभी छोटा राजन का दाहिना हाथ था। डीके राव पुलिस एनकाउंटर में एक नहीं तीन बार बचा था। डीके राव का असली नाम रवि मल्लेश वोरा भी है। माटुंगा इलाके के चॉल में पैदा हुआ रवि मल्लेश 80 के दशक में डीके राव बन गया था। डीके राव डॉन छोटा राजन के लिए फिरौती मांगना, बैंक लूट, हत्या, धमकी देता था। डीके राव की दाऊद इब्राहिम से दुश्मनी है। दाऊद इब्राहिम डीके राव के पीछे है। वहीं, छोटा राजन को भारत डिपोर्ट करने के बाद डीके राव से अलग हो गया था। उसने खुद का गिरोह बनाया था।
निर्देशक संजय गुप्ता ने इससे पहले काबिल (2017) जैसी बेहतरीन फिल्म दी थी लेकिन इस फिल्म में वह कुछ नयापन नहीं दे पाए। फिल्म में एक भी संस्पेंस काम नहीं करते हैं। हालांकि गैंगस्टर अर्मत्य राव के किरदार में जॉन अब्राहम अपना प्रभाव छोड़ते है और इमरान हाशमी भी अपने किरदार में जमते हैं। इनके अलावा दो और किरदार जो दमदार दिखे हैं, वो हैं महेश मांजरेकर और रोहित रॉय। फिल्म की अदाकारा काजल अग्रवाल के पास गिने चुने डायलॉग थे, इसलिए वह कुछ खास असर नहीं दिखा पाईं।
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