स्पेशल स्क्वैड के एसीपी आर्यन खन्ना से दर्शकों के बीच पॉपुलर कलाकार अब आईपीएस रंजन चितौड़ा के किरदार में खासी लोकप्रियता बटोर रहे हैं। दोनों किरदारों को पर्दे पर जीवंत करने वाले एक्टर का नाम है भानु उदय गोस्वामी। भानु उन एक्टर्स में से है जिनको अभिनय ने चुना और बड़े पर्दे पर कुछ भूमिकाएं निभाने के बाद वह टीवी की दुनिया में रमने लगे। उनके नाम हमारी सिस्टर दीदी, मेरी आवाज ही पहचान है, स्टोरीज बाय रविंद्रनाथ टैगोर और साम दाम दंड भेद जैसे शोज हैं।
छोटे रोल नहीं चाहिए थे
टाइम्स नाउ हिंदी से बातचीत में भानु ने बताया कि पर्दा सिनेमाघर का है या फिर घर में लगी स्क्रीन का, उनके लिए ये मायने नहीं रखता। बल्कि एक किरदार कैसा है और उसमें अलग अलग भाव यानी शेड्स दिखाने का उनके पास कितना स्कोप है, इस बेस पर उन्होंने अपने करियर को आगे बढ़ाया है। यही वजह है कि 2004 में करियर शुरू करने के बावजूद मेरे खाते में गिने चुने रोल ही हैं। बकौल भानु - मुझे एकदम स्पष्ट था कि छोटे रोल नहीं करने हैं। फिलर नहीं बनना है।
मगर अफसोस नहीं, क्योंकि...
हर एक्टर को एक ऐसे रोल की तलाश होती है जिसके दम पर उसे अर्से तक याद किया जाए। रुद्रकाल का आईपीएस रंजन चितौड़ा का रोल भानु को अपने लिए वही मौका लगता है जिसमें एक्शन और इमोशन - दोनों का जोरदार कॉम्बो है। इस रोल के बारे में भानु कहते हैं कि कोई दिलचस्प ऑफर न मिलने पर उन्होंने काफी समय तक कोई प्रोजेक्ट साइन नहीं किया था। कई लोगों ने उनको समझाया कि ये उनके लिए सुसाइडल साबित हो सकता है। मगर भानु ने अपने दिल की सुनी और सभी का रिस्पॉन्स देखकर उनको लगता है कि यहां से उनके लिए नया रास्ता निकलेगा।
करियर जर्नी की दिलचस्प बातें
भानु अपने करियर के शुरुआती दौर के निर्देशकों के बहुत शुक्रगुजार हैं। स्पेशल स्क्वैड और प्रकाश झा के बाहुबली शोज के साथ उन्होंने अपनी कैमरा तकनीक को काफी तराशा जिसका फायदा उनको अपने आगे के करियर में काफी मिला। बकौल भानु - मैंने पसंद का काम न मिलने का एक बड़ा दौर देखा है लेकिन उस वक्त को मैंने ट्रेनिंग में लगाया। जो भी कमाता था, वो मैं कोई नई चीज सीखने में लगा देता था। एक्टिंग, गाना, निर्देशन, संगीत जैसी कई विधाओं को सीखने के लिए मैंने सुबह से शाम की है। इंडस्ट्री में इस वजह से मेरे ज्यादा दोस्त नहीं हैं और न ही खबरों में मुझे ज्यादा दिलचस्पी रहती है।
रुद्रकाल के बारे में
भानु बताते हैं कि उन्होंने कभी लाइमलाइट पाने की ख्वाहिश नहीं की। लेकिन स्टार के साथ साम दाम दंड भेद करने के बाद इस चैनल के साथ ये उनका दूसरा मौका है। हो सकता है कि पहले शो में उनकी ईमानदारी और काम पर फोकस रहने का तरीका ही उनको आईपीएस रंजन चित्तौड़ा के करीब ले गया।
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