मुंबई. फिल्मों, वेबसीरीज के बाद टीवी एंटरटेनमेंट का सबसे बड़ा जरिया है। फिल्म इंडस्ट्री के बाद टीवी इंडस्ट्री ही दर्शकों का सबसे अधिक मनोरंजन करती है। 1984 में हम लोग से शुरू हुआ टीवी सीरियल्स का सफर आज भी जारी है। लेकिन आपने सोचा है कि आखिर ये टीवी सीरियल किस तरह पैसा कमाते हैं।
टीवी सीरियल का कमाई का सबसे बड़ा जरिया है एडवर्टाइजमेंट यानी विज्ञापन। हालांकि, ये टीवी सीरियल्स की टीआरपी पर निर्भर करता है। टीवी सीरियल की टीआरपी जितनी अधिक होगी कमाई भी उतनी ही अधिक होगी।
टीवी सीरियल को एक प्रोडक्शन हाउस बनाता है। सीरियल बनाने के टीवी चैनल उसे पैसे देता है। दरअसल चैनल और प्रोडक्शन हाउस या प्रोड्यूसर्स के बीच डील होती है। इसी के अनुसार प्रोडक्शन हाउस को पैसा मिलता है।
आधे घंटे में कमाते हैं 50 लाख से एक करोड़
आधे घंटे के टीवी सीरियल आधे घंटे की ड्यूरेशन में 50 लाख से एक करोड़ रुपए तक कमा लेते हैं। दरअसल आधे घंटे की ड्यूरेशन में लगभग 10 मिनट का स्लॉट एडवर्टाइजमेंट के लिए रिजर्व रहता है। चैनल में आने वाले एडवर्टीजमेंट के रेट खुद चैनल तय करता है।
रेट तय करने में एक बार फिर सीरियल की टीआरपी का अहम रोल होता है। उदाहरण के तौर पर 37वें हफ्ते में 'ये रिश्ता क्या कहलाता है' नंबर टीआरपी वन पर है। ऐसे में इस सीरियल को ज्यादा एड मिल सकते हैं।
सब्सक्रिप्शन और डिजिटल से होती है कमाई
एडवर्टाइजमेंट के अलावा टीवी सीरियल डीटीएच सब्सक्रिप्शन से भी कमाते हैं। दरअसर कई प्राइवेट DTH सर्विस प्रोवाइडर्स सब्सक्रिप्शन से होने वाली कमाई का कुछ हिस्सा चैनल के साथ शेयर करते हैं। चैनल इसे प्रोड्यूसर्स के साथ बांटता है।
टीवी सीरियल डिजिटल प्लेटफॉर्म में भी अपने सीरियल अपलोड करते हैं। यहां से भी चैनल और सीरियल की कमाई होती है। वहीं, टीवी शो में एक्टर्स कई प्रोडक्ट को प्रमोट भी करते हैं। ये सीरियल के कंटेंट का हिस्सा होता है। इसे एडवर्टाइजमेंट की भाषा में प्रोडक्ट प्लेसमेंट भी कहा जाता है।
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