Praveen Kumar Sobti passes away: नहीं रहे 'महाभारत' के भीम प्रवीण कुमार सोबती, बॉलीवुड के बाद टीवी जगत से आई बुरी खबर

Praveen Kumar Sobti Dies: महाभारत में भीम का किरदार निभाने वाले अभिनेता प्रवीण कुमार सोबती अब इस दुनिया में नहीं रहे। बीमारी और आर्थिक तंगी से जूझ रहे 'महाभारत' के भीम प्रवीण कुमार सोबती का निधन हो गया है। 

Praveen Kumar Sobti passes away
Praveen Kumar Sobti passes away 
मुख्य बातें
  • अभिनेता प्रवीण कुमार सोबती अब इस दुनिया में नहीं रहे।
  • बीआर चोपड़ा की महाभारत में भीम का किरदार निभाते थे
  • फिल्म शहंशाह में मुख्तार सिंह का किरदार प्रवीण कुमार सोबती ने ही निभाया था

Praveen Kumar Sobti Dies: बीआर चोपड़ा की महाभारत में भीम का किरदार निभाने वाले अभिनेता प्रवीण कुमार सोबती अब इस दुनिया में नहीं रहे। बीमारी से जूझ रहे 'महाभारत' के भीम प्रवीण कुमार सोबती का निधन हो गया है। वह 76 साल के थे। हाल ही में लता मंगेशकर का निधन हुआ और उसके बाद प्रवीण कुमार सोबती के निधन से फैंस आहत हैं। प्रवीण अदाकारी के अलावा खेल जगत का जाना माना नाम रहे। 

6 दिसंबर 1947 को पंजाब में जन्मे प्रवीण ग्लैमर की दुनिया में कदम रखने से पहले एक बेहतरीन एथलीट हुआ करते थे। प्रवीण गोला फेंक और चक्का फेंक यानी हैमर और डिस्क थ्रो में नंबर वन खिलाड़ी रह चुके हैं। खेल की बदौलत ही प्रवीण कुमार को सीमा सुरक्षा बल (BSF) में डिप्टी कमांडेंट की नौकरी मिल गई थी।

साल 1967 में प्रवीण कुमार को खेल के सर्वोच्च पुरुस्कार 'अर्जुन अवॉर्ड' से नवाजे गया था। अमिताभ बच्चन की फिल्म शहंशाह (shahenshah) में मुख्तार सिंह का किरदार प्रवीण कुमार सोबती ने ही निभाया था। करिश्मा कुदरत का, युद्ध, जबरदस्त, सिंहासन, खुदगर्ज, लोहा, मोहब्बत के दुश्मन, इलाका और अन्य जैसी कई फिल्मों में वह नजर आए। 

साथी कलाकारों और सेलेब्स ने दी श्रद्धांजलि

अभिनेता गजेंद्र चौहान ने लिखा- आज सुबह ही एक और दुःखद समाचार मिला। मेरा महाभारत का भाई  प्रवीण कुमार जी हम सबको छोड़कर अनंत यात्रा पे चला गया। विश्वास नही हो रहा। पा जी,  आप हमेशा हमारी यादों में रहेंगे। ओम शांति ओम शांति ओम शांति! 

बता दें कि अभिनेता प्रवीण कुमार तब चर्चा में आए थे जब उन्होंने पंजाब में सरकार बनाने वाली सभी पार्टियों से अपनी शिकायत जाहिर की थी। उनका कहना था कि जितने भी खिलाड़ी एशियन गेम्स खेलते हैं या मेडल जीतते हैं, उन्हें पेंशन दी जाती है लेकिन हालांकि इस अधिकार से उनको वंचित रखा गया। प्रवीण ने 1960 से लेकर 1970 तक एथलीट के तौर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया और 1966 और 1970 में हुए एशियन गेम्स में डिस्क थ्रो में गोल्ड मेडल जीता। इसके अलावा 1966 में कॉमन वेल्थ गेम्स और 1974 एशियन गेम्स में 2 सिल्वर मेडल जीता था और 2 बार ओलंपिक खेला। 

प्रवीण कुमार सोबती के स्कूल में हेडमास्टर ने उनकी फिटनेस देखते हुए उन्हें खेल की ओर बढ़ाया था, जिसके बाद वह प्रतियोगिताएं जीतने लगे। इसके बाद साल 1966 की कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए डिस्कस थ्रो के लिए नाम आ गया। जमैका के किंगस्टन में हुए इस गेम में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता था। बाद में प्रवीण ने बैंकॉक में हुए साल 1966 और 1970 के एशियन गेम्स में दोनों बार गोल्ड मेडल जीतकर देश का मान बढ़ाया।

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