corona vaccination gap: क्या वैक्सीन के दूसरे डोज में देरी बना सकता इसे निष्प्रभावी? जानें ऐसे सवालों के जवाब

वैक्सीन की भारी कमी और कम उपलब्धता के कारण पहली डोज प्राप्त कर चुके लोगों को दूसरे डोज में देरी का सामना करना पड़ रहा है। क्‍या इससे पहली डोज का प्रभाव कम पड़ जाता है - जानें ऐसे सवालों के जवाब।

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वैक्सीन की दूसरी डोज देर होने पर क्या करें 
मुख्य बातें
  • कोरोना को मात देने के लिए वैक्सीन की दोनों डोज लेना है जरूरी।
  • कोविशील्ड की तुलना में कोवैक्सीन कम मजबूत एंटीबॉडी का करता है निर्माण, इसलिए इसके पहले और दूसरे डोज के बीच अंतराल है कम।
  • यदि पहली डोज के बाद कोरोना के चपेट में आ जाते हैं, तो 2 से 3 महीने के बाद दूसरी डोज प्राप्त करें।

कोरोना की गिरफ्त में आया देश इसके चंगुल से निकलने के लिए फड़फड़ा रहा है। देश में इस महामारी ने कोहराम मचा रखा है। ऐसे में हर दूसरा व्यक्ति इस भयावह महामारी से सदमे में है। कोरोना की पहली और दूसरी लहर के बाद देश का हाल बेहाल हो चुका है, बीते दिन लाखों लोग इस महामारी के चपेट में आए और हजारों की तादाद में लोग अपनी जान गंवा बैठे हैं। 

हालांकि दूसरी लहर अब समाप्ति की ओर है, लेकिन वैज्ञानिकों द्वारा अभी तीसरे लहर आशंका जताई जा रही है। ऐसे में कोरोना से निपटने के लिए वैक्सीनेशन ही एकमात्र हथियार है। केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा दूसरी लहर से पूरी तरह निपटने व तीसरी लहर से बचने के लिए वैक्सीनेशन का महाभियान चलाया जा रहा है। बीते माह से 18 साल के ऊपर के लोगों को धड़ाधड़ वैक्सीन लगाई जा रही है और अब जिन लोगों को कोवैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है वह दूसरी डोज का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि वैक्सीन की भारी कमी और कम उपलब्धता ने लोगों में अनावश्यक रूप से दूसरी डोज का डर पैदा कर दिया है।

वहीं राज्य सरकारों द्वारा लाभार्थियों को दूसरी डोज देने के लिए प्रयास तेज कर दिए गए हैं। इसी के चलते केंद्र सरकार द्वारा कोविशिल्ड की दूसरी डोज की समय अवधि बढ़ा दी गई है। ऐसे में लोगों के अंदर वैक्सीनेशन को लेकर तरह-तरह के विचार आ रहे हैं। क्या वैक्सीन की दूसरी डोज में देरी आपके टीकाकरण को निष्प्रभावी बना सकता है। आइए जानते हैं।

कोरोना को टक्कर देने के लिए है वैक्सीन की दोनों डोज आवश्यक

जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन के अलावा सभी वैक्सीन की दो खुराक लेना आवश्यक है। कोरोना के खिलाफ वैक्सीन अधिक कारगार हो इसके लिए जरूरी है कि वैक्सीन की दोनों डोज निर्धारित समय पर ली जाए। आपको बता दें वैक्सीन की पहली खुराक एंटीबॉडीज प्रतिक्रिया का निर्माण करती है। वहीं दूसरी डोज प्रतिक्रिया को बनाती है और मेमोरी बी कोशिकाओं को भी उत्पन्न करती है, जो प्रतिक्रिया को याद रखती है। इसलिए वैक्सीन की दो खुराक लगने के बाद ही, उसे पूरी तरह से टीकाकरण माना जाता है।

कोविशिल्ड की तुलना में कोवैक्सीन के दूसरे डोज का अंतराल क्यों है कम

हाल ही में केंद्र सरकार ने कोविशिल्ड वैक्सीन की दूसरी खुराक दिए जाने पर बड़ा बदलाव किया है। केंद्र ने राष्ट्रीय टीकाकरण तकनीकी सलाहकार समूह (NTAGI) के कहने पर कोविशील्ड की दूसरी डोज 4 से 6 हफ्ते बढ़ाकर 12-16 हफ्ते कर दिया है। जबकि कोवैक्सीन की पहली और दूसरी डोज के बीच समय अवधि में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह टीके की प्रभावकारिता को बढ़ाता है। वहीं कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि कोविशील्ड की तुलना में कोवैक्सीन की पहली खुराक के दौरान एक मजबूत एंटीबॉडी प्रतिक्रिया नहीं दे सकता है। इसलिए प्रतिरक्षा को बढ़ाने के लिए जल्द ही दूसरी खुराक की आवश्यकता होती है। ध्यान रहे वैक्सीन की दोनों डोज के बाद ही आप कोरोना के भयावह प्रकोप से पूरी तरह सुरक्षित होंगे।

दूसरी खुराक में हो सकती है कितनी देरी

यदि आप वैक्सीन की अनुपलब्धता के कारण निर्धारित समय पर वैक्सीन की दूसरी डोज लेने में चूक गए हैं, तो कोशिश करें की जितनी जल्दी हो सके कहीं से भी वैक्सीन की दूसरी डोज प्राप्त करें। यह आपके प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को मजबूत बनाने में मदद करेगा और आप कोराना जैसी भयावह महामारी को मात दे सकेंगे। वहीं विशेषज्ञों द्वारा दी गई सलाह के मुताबिक, यदि पहली डोज के बाद आप कोरोना के चपेट में आ जाते हैं, तो 2 से 3 महीने के बाद दूसरी डोज प्राप्त करें। ऐसा इसलिए क्योंकि इस भयावह महामारी के चंगुल में आने के बाद भी यह आपको प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रदान करेगा, जो कुछ समय तक रहता है।

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