बच्चों को दमा से दूर रखे बादाम, मछली, सोयाबीन का सेवन

हेल्थ
Updated Dec 07, 2017 | 20:27 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

शोध के परिणाम बताते हैं कि पॉलीअनसेचुरेटेड वसा अम्लों की रक्त में बढ़ी मात्रा बच्चों में एलर्जी संबंधी रोगों के जोखिम को कम करने से जुड़ी हुई है।

बादाम  |  तस्वीर साभार: TOI Archives

लंदन: बादाम, मछली जैसे सैलमॉन, पटसन के बीज व सोयाबीन तेल में मौजूद जरूरी पॉलीअनसेचुरेटेड वसा अम्ल आपके बच्चों के आहार में शामिल होकर उन्हें एलर्जी संबंधी बीमारियों से दूर रखेंगे।

इनका सेवन आपके बच्चे को खास तौर से दमा (अस्थमा) व नाक में जलन व श्लेष्मा झिल्ली में सूजन के जोखिम को रोकने में कारगर होगा। दमा व नाक के एलर्जी संबंधी रोग से बच्चों के बचपन पर असर पड़ता है। इसकी वजह या तो आनुवांशिक होती है या पर्यावरणीय कारकों का असर होता है।

पॉलीअनसेचुरेड वसीय अम्ल में ओमेगा-3 व ओमेगा-6 वसा अम्ल आते हैं
शोध के परिणाम बताते हैं कि पॉलीअनसेचुरेटेड वसा अम्लों की रक्त में बढ़ी मात्रा बच्चों में एलर्जी संबंधी रोगों के जोखिम को कम करने से जुड़ी हुई है। पॉलीअनसेचुरेड वसीय अम्ल में ओमेगा-3 व ओमेगा-6 वसा अम्ल आते हैं, जिन्हें एराकिडोनिक अम्ल कहते हैं।

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ऐसे बच्चों में, जिनमें आठ साल की उम्र में ओमेगा 3 का उच्च रक्त स्तर होता है, उनमें 16 साल की उम्र में दमा या नाक में जलन या श्लेष्मा झिल्ली में एलर्जी के विकसित होने की संभावना कम होती है।

उच्चस्तर वाले ओमेगा-6 वसा अम्ल जिसे एराकिडोनिक अम्ल कहते हैं, यह 16 साल की उम्र में दमा के कम जोखिम से जुड़ा हुआ है।

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स्वीडेन के कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट की शोधकर्ता एना बर्गस्ट्रोम ने कहा, 'चूंकि एलर्जी की अक्सर शुरुआत बचपन के दौरान होती है, ऐसे में इस शोध का मकसद पर्यावरण व जीवनशैली का एलर्जी संबंधी बीमारियों पर असर देखना था।'

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