कोरोना के संक्रमण से उबरने के बाद भी शरीर पर कब तक रहेगा असर?

हेल्थ
नवीन चौहान
Updated May 13, 2020 | 14:33 IST

कोरोना वायरस से उबरने वाले मरीजों के लिए आगे का जीवन पहले की तरह सामान्य नहीं रहने वाला है। कई तरह की जटिल समस्याएं उनके शरीर में हमेशा के लिए रह जाएंगी।

corona Virus
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मुख्य बातें
  • कोरोना वायरस का भी संक्रमण को मात देने वालों के स्वास्थ्य पर होगा दूरगामी असर
  • फेफड़े की कार्यक्षमता पर पड़ेगा कोरोना के संक्रमण का असर
  • कई तरह की दिल की बीमारियों की शरीर पर हो सकती है दस्तक

नई दिल्ली: दुनियाभर में कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में अब तक तकरीबन 44 लाख लोग चपेट में आ चुके हैं। इसकी वजह से तकरीबन 3 लाख लोग काल के गाल में समा चुके हैं। लेकिन अच्छी बात यह भी है कि 16 लाख लोग इस जानलेवा वायरस के संक्रमण से उबरने में सफल रहे हैं। 

कोरोना वायरस को मात देना इस वायरस के खिलाफ जंग के खिलाफ महज एक छोटी सी जीत है। इस जानलेवा वायरस के संक्रमण से उबरने वाले कई मरीजों ने सांस लेने में तकलीफ, थकान और शरीर में दर्द की शिकायत पाई गई है। हांगकांग और वुहान में की गई एक छोटी और सीमित रिसर्च में पाया गया कि कोरोना के संक्रमण से उबरने वाले लोगों के फेफड़े, दिल और लीवर सही तरह से काम नहीं कर रहे हैं। हो सकता है कि ये बड़ी परेशानियों का संकेत मात्र हो। 

माना जा रहा है कि कोरोना वायरस फेफड़ों के साथ शरीर के अन्य अंगों पर भी आक्रमण करता है। आखों की पुलतियों से लेकर एड़ी और किडनी को कोरोना वायरस प्रभावित कर सकता है। इस जानलेवा वायरस से लड़ने के लिए मानव शरीर के प्रतिरोधी तंत्र( इन्यून सिस्टम) को शरीर में हुए नुकसान की भरपाई के लिए क्षमता से अधिक काम करना पड़ रहा है। 

कोरोना से उबरने वालों पर रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों का दूरगामी स्वास्थ्य को लेकर मानना है कि इस परिवार के पूर्ववर्ती वायरसों की तरह इसका असर भी लोगों के शरीर पर तकरीबन एक दशक या उससे ज्यादा समय तक रह सकता है। 

फेफड़ों की काम करने की क्षमता पर पड़ेगा असर
हांगकांग के प्रिंसेस मार्गेट हॉस्पीटल के निदेशक ओवन सांग ने बताया कि हांगकांग की हॉस्पीटल अथॉरिटी कोविड 19 के संक्रमण से उबरने वाले कुछ मरीजों के एक समूह पर पिछले दो महीने से लगातार नजर रख रही है। इन 20 कोरोना सर्वाइवर्स में से आधे लोगों के फेफड़े औसत से कम क्षमता से काम कर रहे हैं। इन सभी के फेफड़ों की डिफ्यूजन कैपेसिटी (फेफडों की कार्बन डाइ ऑक्साइड और ऑक्सीजन रक्त में ट्रांसफर करने की क्षमता) सामान्य औसत से कम पाई गई। 

चीन का वुहान शहर जहां से कोरोना संक्रमण की शुरुआत हुई वहां ठीक होने वाले 25 मरीजों में पाया गया कि कोरोना से उबरने के बावजूद वो अब तक पहले की तरह अपनी सामान्य स्थिति में नहीं पहुंच पाए हैं। एक अन्य शोध में पाया गाय कि वुहान में कोविड-19 संक्रमण से ठीक होने वाले 90 मरीजों के फेफड़े का इलाज के दौरान सीटी स्कैन किया गया था। इनमें से जिन 70 मरीजों को कोरोना से उबरने के बाद डिस्चार्ज किया गया उसमें से 66 के फेफड़ों में अवशिष्ट पदार्थ और अन्य अनियमितताएं पाई गईं।

दिल की बीमारियों की होगी दस्तक 
यह भी माना जा रहा है कि कोरोना से उबरने वाले लोगों के शरीर में विभन्न तरह के हृदयविकार( हार्ट डिजीज) देखने को मिल सकते हैं। ऐसा शरीर में लगातार लंबे समय तक सूजन रहने की वजह से होने की संभावना है। अमेरिका के लॉस एंजिलिसी स्थिति कार्डर सिनाई मेडिकल सेंटर द्वारा प्रकाशित रिसर्च पेपर में कहा गया है। इस  निष्कर्ष पर वो इटली और चीन के मरीजों के डेटा का एनालिसिस करने के बाद पहुंचे हैं।   

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