अर्जुन का पेड़ आयुर्वेद में काफी ज्यादा प्रयोग होता है। इसमें कई तरह के गुण होते हैं, जिसकी वजह से इसे दवाइयों में डाला जाता है। अर्जुन के पेड़, फल, पत्तियों और जड़ों को कई बीमारियों को दूर करने के लिये प्रयोग करते हैं। अर्जुन के पेड़ के हिस्सों से आप नीचे दी हुई इन बीमारियों को दूर कर सकते हैं। आपको बता दें कि इनका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है, इसलिये इसे आजमाने में हिचकिचाएं नहीं।
- मुंह की बीमारियों को दूर करे:
यदि अर्जुन के पेड़ की छाल के पावडर को तिल के तेल के साथ मिला कर रोज़ कुल्ला किया जाए, तो मुंह के फोड़े और अल्सर ठीक हो जाते हैं। इससे कैविटी, मसूड़ों की समस्या, संक्रमण, ब्लीडिंग, दांत दर्द और मुंह की बदबू दूर होती है।
-चेहरे की झुर्रियां मिटाए:
अर्जुन के छाल के पावडर में थोड़ा सा शहद लगाएं और हफ्ते भर तक चेहरे पर लगाएं। इससे त्वचा बिल्कुल साफ नजर आती है।
-दिल की धड़कनों को करता है नॉर्मल:
1 चम्मच अर्जुन के छाल के पावडर को 1 गिलास टमाटर के जूस में डालें और पी लें। इससे यदि दिल की धड़कने तेज हैं, तो वो नॉर्मल हो जाएंगी।
-रक्तपित्त:
सुबह अर्जुनकी छाल क काढ़ा बनाकर पीने से रक्तपित्त दूर हो जाता है।
-स्पर्म काउंट बढ़ाए:
नियमित तौर पर अगर अर्जुन के छाल के पावडर का काढा पिया जाए, तो स्पर्म काउंट बढता है। साथ ही यह यौन संबन्ध से पैदा हेाने वाली अनेको बीमारियां, जैसे गोनोरिया आदि को भी जड़ से मिटा देता है।
-हड्डी को जल्द ही जोड़े:
यदि हड्डी टूट जाए तो, 1 कप दूध में 1 चम्मच अर्जुन के छाल का पावडर मिला कर दिन में तीन बार पियें। इससे हड्डियों में ताकत आती है और जल्द ही हड्डी जुड़ जाती है। आप चाहें तो छाल के पावडर को घी के साथ मिक्स कर के जहां हड्डी टूटी हैं, वहां पर लगा कर बैंडेज बांध सकते हैं।
-पेशाब की रूकावट दूर करे:
रोजाना 40 एम एल अर्जुन के छाल का काढ़ा पियें। इस काढ़े से पेशाब की रुकावट दूर हो जाती है।
-डायबिटीज को करे नियंत्रित:
अर्जुन का उपयोग डायबिटीज के मरीजों के लिए उपयोगी साबित हो सकता है। अर्जुन छाल से जुड़े एक शोध से इस बात की पुष्टि होती है। शोध में पाया गया कि अर्जुन छाल में हेक्सोकिनेस, एल्डोलेस, फॉस्फोग्लुकोसोमेरेस और ग्लूकोनियोजेनिक जैसे कई एंजाइम्स पाए जाते हैं। इनकी मौजूदगी के कारण अर्जुन की छाल में एंटीडायबिटिक गुण मौजूद होता है। अर्जुन छाल का यह गुण किडनी और लिवर की कार्यक्षमता को बढ़ाकर ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
-हाई बीपी में सहायक:
जैसा कि लेख में पहले ही बताया जा चुका है कि अर्जुन की छाल में मौजूद ट्राइटरपेनॉइड नाम का खास रसायन हृदय स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है। वहीं, शोध में यह भी माना गया है कि इसमें एंटीहाइपरटेंसिव गुण मौजूद होता है। इस आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि बढ़े हुए ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए भी अर्जुन की छाल काफी मददगार साबित हो सकती है।
-बढ़ते वजन को कम करे:
बढ़ते वजन की समस्या को रोकने के लिए भी अर्जुन की छाल को उपयोग में लाया जा सकता है। यह बात चूहों पर आधारित एनसीबीआई के एक शोध से स्पष्ट होती है। शोध में पाया गया कि अर्जुन की छाल से तैयार कैप्सूल का उपयोग फैट को कम करने में मदद कर सकता है।
अर्जुन की छाल के नुकसान:
-हल्की कमजोरी के साथ उल्टी और मतली की समस्या हो सकती है।
-पेट में हल्की सूजन और उसके कारण दर्द का अनुभव हो सकता है।
-सिरदर्द और बदन दर्द की समस्या हो सकती है।
-कुछ मामलों में इसके सेवन के कारण कब्ज की शिकायत भी हो सकती है।
-वहीं, कुछ लोगों को इसके सेवन के कारण अनिद्रा की समस्या परेशान कर सकती है।
अर्जुन चाय की सामग्री कैसे तैयार करें?
-अर्जुन पाउडर का एक चम्मच।
-आधा चम्मच दालचीनी पाउडर।
-एक चम्मच चाय की पत्ती।
-एक गिलास पानी।
-आधा गिलास पानी।
जान लीजिए विधि:
एक सॉस पैन में सभी अवयवों को जोड़ें और तब तक उबालें जब तक कि डेढ़ गिलास पानी और दूध एक कप तक न पहुंच जाए। उसके बाद उसे एक कप में डालें और पीलें।
नोट: उपयोग और खुराक के बारे में जानने के लिए अर्जुन छाल पाउडर या कैप्सूल पर शुरू करने से पहले डॉक्टर या आयुर्वेद स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श करना हमेशा अच्छा होता है।