जानलेवा हो सकती है बीमारी हीमोफीलिया, जानिए क्या है इसके लक्ष्ण 

हेल्थ
आईएएनएस
Updated Apr 17, 2020 | 14:45 IST

हीमोफीलिया अनुवांशिक बीमारी है। सावधानी न रखने पर यह जानलेवा साबित हो सकती है।

 World Haemophilia Day 2020
हीमोफीलिया रक्तस्राव संबंधी एक अनुवांशिक बीमारी है।  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • हीमोफीलिया अनुवांशिक बीमारी है, सावधानी न रखने पर यह जानलेवा साबित हो सकती है
  • इससे ग्रसित व्यक्ति में लम्बे समय तक रक्त स्राव होता रहता है
  • कुछ खास सावधानियां बरतने से और हीमोफीलिया प्रतिरोधक फैक्टर के प्रयोग से नियंत्रित किया जा सकता है

लखनऊ: हीमोफीलिया अनुवांशिक बीमारी है। सावधानी न रखने पर यह जानलेवा साबित हो सकती है। इसकी चपेट में पुरुष आते हैं। लगातार रक्त बहने की समस्या हो तो सावधानी जरूरी है। यह इसी बीमारी के लक्षण हो सकते हैं। एसजीपीजीआई के हिमैटोलाजी की विभागाध्यक्ष डॉ. सोनिया नित्यानन्द ने बताया, हीमोफीलिया रक्तस्राव संबंधी एक अनुवांशिक बीमारी है।

लंबे समय तक होता है स्राव

इससे ग्रसित व्यक्ति में लम्बे समय तक रक्त स्राव होता रहता है। यह खून में थक्का जमाने वाले आवश्यक फैक्टर के न होने या कम होने के कारण होता है। रक्तस्राव चोट लगने या अपने आप भी हो सकता है। मुख्यत: रक्तस्राव जोड़ो, मांसपेशियों और शरीर के अन्य आंतरिक अंगों में होता है और अपने आप बन्द नहीं होता है। यह एक असाध्य जीवन पर्यन्त चलने वाली बीमारी है लेकिन इसको कुछ खास सावधानियां बरतने से और हीमोफीलिया प्रतिरोधक फैक्टर के प्रयोग से नियंत्रित किया जा सकता है।

इलाज जल्द से जल्द होना अति आवश्यक

उन्होंने बताया,शरीर में नीले निशान बन जाते हैं। जोड़ों में सूजन आना और रक्तस्राव होना। अचानक कमजोरी आना और चलने में तकलीफ होना। नाक से अचानक खून बहना भी इसके ही लक्षण है। यदि यह रक्तस्राव रोगी की आंतों में अथवा दिमाग के किसी हिस्से में शुरू हो जाये तो यह जानलेवा भी हो सकता है। इसका इलाज जल्द से जल्द होना अति आवश्यक है।

हीमोफीलिया कई प्रकार के होते हैं

डॉ. सोनिया ने बताया, यदि हीमोफीलिया रोगी के रक्त में थक्का जमाने वाले फैक्टर 8 की कमी हो तो इसे हीमोफीलिया ए कहते है। यदि रक्त में थक्का जमाने वाले फैक्टर 9 की कमी हो तो इसे हीमोफीलिया बी कहते है। इस प्रकार मरीज को जिस फैक्टर की कमी होती है वह इंजेक्शन के जरिये उसकी नस में दिया जाता है। इससे रक्तस्राव रुक सके यही हीमोफीलिया की एक मात्र औषधि है। रक्त जमाने वाले फैक्टर अत्यधिक महंगे होने के कारण अधिकांश मरीज इलाज से वंचित रह जाते हैं। हीमोफीलिया से ग्रस्त व्यक्तियों को सही समय पर इंजेक्शन लेना, नित्य आवश्यक व्यायाम करना, रक्त संचारित रोग (एचआईवी, हीपाटाइटिस बी व सी आदि) से बचाव जरूरी है।

हीमोफीलिया अनुवांशिक बीमारी

केजीएमयू के वरिष्ठ प्रोफेसर डा़ पूरनचन्द्र ने बताया, हीमोफीलिया के मरीज का इलाज बिना डॉक्टरी सलाह के नहीं किया जा सकता है। यह अनुवांशिक बीमारी है। इससे सर्तक रहने की जरूरत है। इनके दांत का इलाज करना भी बहुत कठिन होता है। इसके कारण एक रक्त प्रोटीन की कमी होती है, जिसे क्लटिंग फैक्टर कहा जाता है। इसमें फैक्टर बहते हुए रक्त के थक्के को जमाकर उसका बहना रोकता है। फैक्टर 8 ब्लड में नहीं रहता है तो उसे हीमोफिलिक कहा जाएगा। यह रोग पीढ़ी दर पीढ़ी यह ट्रान्सफर होता है। उन्होंने बताया कि कोई भी इलाज करने से पहले मरीज के खून न बहे इसका ध्यान रखना अनिवार्य है।

हीमोफीलिया सोसाइटी के सचिव विनय मनचंदा ने कहा कि हीमोफीलिया के इलाज कि सुविधा प्रदेश के 26 स्वास्थ्य केन्द्रों पर उपलब्ध है। लेकिन धन अभाव में हीमोफीलिया प्रतिरोधक फैक्टर की सप्लाई नहीं हो पा रही है। यूपी ने गत वर्ष 42.3 करोड़ रुपये दिए थे। इस वर्ष के लिए 50 करोड़ की मांग की गई है। लेकिन आज बजट रिलीज नहीं हुआ है। उन्होंने यूपी सरकार से हीमोफीलिया के मरीजों के लिए प्राथमिकता से कार्य करने की अपील की है।

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