Monkeypox:जिनको लगा है ये टीका उनको मंकीपॉक्स से खतरा कम ! जानें कोविड से कैसे है अलग

हेल्थ
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated Jul 25, 2022 | 12:50 IST

Monkeypox Cases In India and Symptoms: दुनिय के 74 देशों में मंकीपॉक्स के 16 हजार से ज्यादा केस हो चुके हैं। और इस बार मंकीपॉक्स के ज्यादातर मामले यूरोप में हैं।

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कितना खतरनाक है मंकीपॉक्स  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • सबसे ज्यादा 3125 केस स्पेन में पाए गए हैं।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार चेचक को रोकने के लिए बनाई गई वैक्सीन मंकीपॉक्स के खिलाफ 85 फीसदी तक इफेक्टिव है।
  • मौजूदा समय में मृत्यु दर 3-6 फीसदी के बीच है।

Monkeypox Cases In India and Symptoms: देश में मंकीपॉक्स (Monkeypox) का चौथा केस सामने आ गया है। इसके साथ दिल्ली में एक और केरल में 3 केस हो चुके हैं। अब इस बात का खतरा बढ़ गया है कि क्या भारत में भी मंकीपॉक्स के मामले तेजी से बढ़ेंगे। चिंता इसलिए है क्योंकि दिल्ली में जो चौथा केस मिला है, उस शख्स की विदेश यात्रा की कोई हिस्ट्री नही है। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी मंकीपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी (Global Health Emergency) घोषित कर दिया है। दुनिय के 74 देशों में मंकीपॉक्स के 16 हजार से ज्यादा केस हो चुके हैं। सवाल यही है कि क्या एक बार फिर दुनिया पर नई महामारी का खतरा मंडरा रहा है।

कोविड-19 से अलग है मंकीपॉक्स

सबसे अहम बात यह है कि मंकीपॉक्स, कोविड-19 जैसी कोई नई बीमारी नही है। कोविड-19 संक्रमण सबसे पहले साल 2019 में सामने आया था। लेकिन मंकीपॉक्स का सबसे पहले मामला साल 1970 में आया। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)के अनुसार 1970 में मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आने के बाद अफ्रीका के 11 देशों में पहले भी केस आ चुके हैं। इसमें बेनिन, कैमरून, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, गैबॉन, कोटे डी आइवर, लाइबेरिया, नाइजीरिया, कांगो गणराज्य, सिएरा लियोन और दक्षिण सूडान शामिल हैं।

इसके बाद साल 2003 में अफ्रीका से बाहर पहला केस अमेरिका में पाया गया। फिर 2018 से 2022 के बीच यह यूनाइटेड किंगडम, इजरायल, सिंगापुर होते हुए, मंकीपॉक्स दुनिया के कई देशों में फैल चुका है। जाहिर है दुनिया के लिए मंकीपॉक्स नई बीमारी नहीं है। ऐसे में उसके खिलाफ लड़ाई में हम कहीं ज्यादा तैयार हैं। और इसके लिए पहले से चेचक की वैक्सीन  कारगर है। इसके अलावा सबसे राहत की बात यह है कि कोविड-19 की तरह से मंकीपॉक्स का संक्रमण तेजी से नहीं फैलता है। 

इस बार अफ्रीका नहीं यूरोप में ज्यादा मामले 

भले ही मंकीपॉक्स की शुरूआत अफ्रीका से हुई है। लेकिन इस बार मंकीपॉक्स के ज्यादातर मामले यूरोप में हैं। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (CDC)की ताजा रिपोर्ट (22 जुलाई) के अनुसार दुनिया के 74 देशों में 16836 केस सामने आ चुके हैं। इसमें 16593 केस उन देशों में पाए गए हैं, जहां पर इसके पहली कभी मंकीपॉक्स केस नहीं पाए गए थे। इस समय सबसे ज्यादा  3125 केस स्पेन में पाए गए हैं। इसके बाद 2890 केस अमेरिका, 2268 केस जर्मनी, 2208 केस यूके में पाए गए हैं।

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चेचक की वैक्सीन कारगर

सबसे अच्छी बात यह है कि कोविड-19 की तरह मंकीपॉक्स के खिलाफ लड़ाई अंधेरे में नहीं लड़ी जानी है। इसके लिए पहले से वैक्सीन मौजूद है और वह 85 फीसदी तक इफेक्टिव है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार चेचक को रोकने के लिए बनाई गई वैक्सीन मंकीपॉक्स के खिलाफ 85 फीसदी तक इफेक्टिव है। इसलिए जिन लोगों को पहले से चेचक की वैक्सीन लगी हुई है, उनको मंकीपॉक्स का संक्रमण होने से हल्की बीमारी का ही डर है। ऐसे में जिन लोगों को पहली पीढ़ी की चेचक वैक्सीन लगी हुई है, उनके लिए जोखिम कम है। इसके लिए अलावा दो डोज वाली मंकीपॉक्स रोधी वैक्सीन साल 2019 विकसित की गई है। हालांकि अभी उसका उपलब्धता सीमित है।

लक्षण

मंकीपॉक्स के सबसे आम लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, सुस्ती, शरीर पर चकत्ते जो 2-3 सप्ताह तक रहते हैं। हालांकि ज्यादातर मामलों में हल्के लक्षण होते हैं। लेकिन कमजोर इम्युनिटी वाले बच्चों और दूसरे व्यक्तियों पर यह कभी-कभी घातक भी हो सकता है। जटिलताओं में निमोनिया, इन्सेफलाइटिस और कॉर्निया में संक्रमण भी शामिल है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मौजूदा समय में मृत्यु दर 3-6 फीसदी के बीच है।
 

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