वॉशिंगटन डीसी: महामारीविदों और अन्य शोधकर्ताओं ने हाल ही में इटली के मिलान शहर के सैन राफेल अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर एलबर्टो जैंगरीलो की उस दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने कहा था कि नोवेल कोरोना वायरस लगातार कमजोर हो रहा है और उसकी लोगों को बीमार करने की क्षमता कम होती जा रही है।
इटली के डॉक्टर के मुताबिक, पिछले 10 दिनों के दौरान हुई एक जांच के दौरान यह बात सामने आई कि अब संक्रमित होने वाले लोगों में कोरोना वायरस का क्वांटिटव लोड( उपस्थिति) एक दो महीने पहले कोरोना संक्रमित होने वाले मरीजों की तुलना में कहीं कम है। उन्होंने यह भी कहा था कि चिकित्सकीय लिहाज से देखें तो कोरोना वायरस अब इटली में मौजूद नहीं है।
हालांकि कई अन्य विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि इटली में आए जांच के नतीजों पर ध्यान न देते हुए पहसे की तरह सतर्क रहें। क्योंकि इटली में जो अध्ययन के जो नतीजे आए हैं उसका असर इन्फेक्शन में देखने को नहीं मिला है।
डब्ल्यूएचओ की तकनीकी प्रमुख मारिया वेन केलखोव ने इस बारे में कहा, इन दोनों बातों के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं कि कोरोना वायरस संक्रमण की क्षमता और उसकी बीमारी करने की ताकत में कोई कमी आई है। जहां तक संक्रमण की बात है तो उसमें कोई बदलाव नहीं आया है।
डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञों का मानना है कि वायरस में अभी भी तेजी से लोगों को संक्रमित करने की क्षमता है। जो भी लोग इस वायरस से संक्रमित हुए हैं उनमें से 20 प्रतिशत को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है।
विशेषज्ञों का ये भी मानना है कि जो भी तथ्य इटली के डॉक्टर ने साझा किए हैं उसका मतलब यह है कि इटली में महामारी का खराब दौर गुजर चुका है। अब वहां वायरस नहीं फैल रहा है और लोगों के इसके ज्यादा संपर्क में आने की संभावना भी बेहद कम है।
पीट्सबर्ग स्कूल ऑफ मेडीसिन के रिसर्चर वॉन कूपर का इस बारे में मामना है कि इटली में डॉक्टर जो रिपोर्ट कर रहे हैं उनके मत में अंतर की मुख्य वजह मेडिकल ट्रीटमेंट का तरीका और मानवीय व्यवहार है। जो संक्रमण को रोकता है।