एक तरफ कोरोनो वायरस दुनियाभर में लोगों को संक्रमित कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ भारत में नवीनतम रुझान बताते हैं कि अस्पताल में भर्ती होने की दर बहुत कम है और रिकवरी तेजी से हो रही है। इस बीच एक नए अध्ययन से अब पता चला है कि कोविड 19 के ओमीक्रोन वेरिएंट ने टीका लगवाने वाले लोगों में बूस्टर डोज की तुलना में बेहतर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न की है।
अध्ययन बताता है कि जिन लोगों को टीका लगाया गया और वो फिर ओमीक्रॉन से संक्रमित हो गए, उनके पास कोविड वेरिएंट की विस्तृत श्रृंखला से निपटने के लिए बेहतर एंटीबॉडी हो सकते हैं। वैक्सीन निर्माता बायोएनटेक एसई और वॉशिंगटन विश्वविद्यालय द्वारा किया गया अध्ययन दुनिया को आश्वस्त करता है, भले ही कई हिस्सों में मामले बढ़ रहे हों।
स्टडी को बायोरेक्सिव सर्वर पर प्रीप्रिंट में प्रकाशित किया गया है। अध्ययन की समीक्षा करने वाले पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय में इम्यूनोलॉजी संस्थान के प्रोफेसर और निदेशक जॉन वेरी ने ब्लूमबर्ग को बताया कि ब्रेकथ्रू इंफेक्शन को अनिवार्य रूप से वैक्सीन की एक और खुराक के बराबर माना जाना चाहिए और अगर किसी को हाल ही में कोविड हुआ था तो वे एक और बूस्टर शॉट लेने से पहले इंतजार कर सकते हैं।
शोधकर्ताओं ने तर्क दिया है कि लोगों को ओमीक्रोन अनुकूलित बूस्टर शॉट की पेशकश अधिक फायदेमंद हो सकती है। वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर डेविड वेस्लर ने ब्लूमबर्ग को बताया कि हम उस बिंदु पर हैं जहां हम लोगों को बूस्ट करने के लिए एक अलग टीका लगाने पर विचार कर सकते हैं। शोधकर्ताओं ने इन रोगियों के नाक के श्लेष्म में एंटीबॉडी की भी पहचान की, जो शरीर में प्रवेश करते ही वायरस को बेअसर करने में उनकी मदद कर सकती है।
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