नई दिल्ली: कोरोना वायरस का टीका लॉन्च करने की दिशा में रूस दुनिया का पहला देश बनने के पायदान पर खड़ा हो गया है। मॉस्को के गामलेया इंस्टीट्यूट की ओर से बनाए गए कोविड-19 के टीके का रिजस्ट्रेशन 12 अगस्त को किया जाएगा। इस महीने यह टीका डॉक्टरी जैसे पेशे से जुड़े लोगों को टीका लगाया जाएगा। रूसी मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि गामलेया रिसर्च इंस्टिट्यूट के निदेशक अलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग सहित संस्थान के अनुसंधानकर्ताओं ने इस टीका का परीक्षण खुद पर किया है।
शोधकर्ताओं ने खुद को लगाया टीका
अलेक्जेंडर गिंटसबर्ग ने कहा है कि ह्यूमन ट्रायल से पहले इस टीके का परीक्षण शोधकर्ताओं पर हुआ। हालांकि निदेशक के इस बयान ने विवाद को जन्म दे दिया। रशियन एसोसिएशन ऑफ क्लिनिकल रिसर्च एसोसिएशन (आरएसीआरए) ने गिंट्सबर्ग के बयान की निंदा की है। आरएसीआरए ने कहा कि 'यह क्लिनिकल रिसर्च के बुनियादी वसूलों का खुला उल्लंघन है।' बता दें कि इस वैक्सीन ने अपने सभी ट्रायल्स पूरे कर लिए हैं और रूसी अधिकारी मनुष्यों को लगाने के लिए इस टीके को उपयुक्त मान रहे हैं। रूस की योजना इस सप्ताह तक इस टीके को लॉन्च करने की है। रूस की योजना इस महीने में जल्द से जल्द डॉक्टरों को टीका लगाने के बाद फिर बड़े स्तर पर देश में टीकाकरण अभियान चलाने की है।
चिकित्सा कर्मियों को लगेगा टीका
समाचार एजेंसी 'स्पतनिक' के मुताबिक गिंटसबर्ग का कहना है कि इस बात का अभी कोई संकेत नहीं मिला है कि यह टीका किसी तरह का नुकसान पहुंचा रहा है। रूस के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराश्को का कहना है कि इस महीने की शुरुआत में चिकित्सा कर्मियों पर इस टीके का टेस्ट किया जा सकता है। इसके बाद सितंबर से इस वैक्सीन का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाएगा। रूस की योजना अक्टूबर से देश भर में लोगों को इस टीके को लगाने की है।
डब्ल्यूएचओ ने चिंता जताई
हालांकि, डब्ल्यूएचओ सहित कई विशेषज्ञों ने रूस के इस टीके पर अपनी चिंताएं जताई हैं। उनका कहना है कि रूसी टीके के बारे में उन्हें कोई आधिकारिक जानकारी अथवा डाटा नहीं मिला है।