Covifenz, Plant based Vaccine for Corona: कोरोना के खिलाफ लड़ाई में वैक्सीनेशन एकमात्र हथियार है। दुनियाभर में कोरोना से निपटने के लिए वैक्सीनेशन का महाभियान चलाया जा रहा है। इसके अंतर्गत 18 साल से ऊपर के लोगों को धड़ाधड़ वैक्सीन लगाई जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर के देशों में अब तक 5 अरब से ज्यादा लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी है। वहीं भारत में यह आंकड़ा 100 करोड़ पार कर चुका है।
अब तक मौजूद कोविड के खिलाफ तमाम टीकों को गंभीर संक्रमण से बचाव के लिए असरदार पाया गया है। इस दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए गुरुवार को, कनाडा सरकार ने दुनिया के पहले प्लांट बेस्ड कोविड-19 वैक्सीन कोविफेन्ज के उपयोग को मंजूरी दे दी है। बता दें क्यूबेक सिटी में स्थित मित्सुबिशी केमिकल और फिलिप मॉरिस के स्वामित्व वाली बायोफार्मा कंपनी और ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन ने इसे तैयार किया है।
यह ना सिर्फ कनाडा की एक फर्म द्वारा तैयार किया गया पहला अधिकृत कोरोना वैक्सीन है बल्कि यह पहला ऐसा टीका है जिसे प्लांट आधारित प्रोटीन तकनीक का उपयोग करके विकसित किया गया है। इस वैक्सीन को लेकर दुनियाभर के सभी देश अचंभित हैं। हाल ही में कनाडा सरकार ने 18 से 64 वर्ष की आयु के लोगों के लिए इसके उपयोग की मंजूरी दे दी है। हेल्थ कनाडा का कहना है कि 18 वर्ष से कम और 64 वर्ष से अधिक लोगों के लिए अभी टीके की प्रभावशीलता की पुष्टि नहीं हुई है, इसके लिए अभी अध्ययन जारी है।
क्या हैं शरीर में विटामिन B12 की कमी के लक्षण
कोविफेन्ज अन्य वैक्सीन से कैसे है अलग
दुनियाभर में अब तक उपलब्ध कोरोना वैक्सीन एमआरएनए, वायरल वैक्टर या निष्क्रिय कोरोना वायरस का उपयोग करके बनाई गई है, लेकिन कोविफेन्ज इन सबसे अलग प्लांट बेस्ड तकनीक का उपयोग करके तैयार की गई है। सभी कोरोना वायरस वैक्सीन का उद्देश्य एंटीजन का उत्पादन करना है। वहीं स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार कोविफेन्ज इन सभी टीकों से अलग है यह स्पाइक प्रोटीन के प्लांट आधारित वायरस जैसे कणों (वीएलपी) से बना है। यह ग्लैक्सो के AS03 एडजुवेंट का उपयोग करता है, जिसमें डीएल-अल्फा-टोकोफेरोल, स्क्वैलेन, पॉलीसोर्बेट 80, फॉसफेट-बफर सलाइन शामिल होता है।
सरल शब्दों में कोविफेन्ज पौधों पर आधारित प्रोटीन का उपयोग करके ऐसे कणों को उत्पन्न करता है जो वायरल रोगजनक से मिलते जुलते हैं, जिसके आधार पर शरीर प्रतिरक्षा का निर्माण करता है और इसे मजबूत बनाता है।
कोविड के जोखिम को कम करती है रेड वाइन?
दो डोज लेना होगा आवश्यक
कंपनी की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार कोरोना के खिलाफ इस वैक्सीन की भी दो डोज लेना आवश्यक है। प्रत्येक खुराक में 3.75 माइक्रोग्राम स्पाइक प्रोटीन और 0.25 मिलीलीटर AS03 एडजुवेंट होता है। पहली डोज लगने के बाद 21 दिन के भीतर दूसरी डोज लेना आवश्यक होगा।
क्या यह कोरोना के खिलाफ होगा कारगार
कंपनी की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार अब तक की सभी वैक्सीन में इसे कोरोना के खिलाफ सबसे असरदार बताया जा रहा है। हाल ही में हुए परीक्षण में 18 से 64 वर्ष की आयु के लोगों में कोरोना के तमाम वेरिएंट्स के खिलाफ इसे 71 फीसदी प्रभावी पाया गया।
टीकाकरण के बाद हो सकती है ये समस्या
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार अन्य वैक्सीन की तरह इसके भी कुछ साइड इफेक्ट्स देखने को मिल सकते हैं। पहली डोज के बाद कुछ लोगों को इंजेक्शन वाले हिस्से पर लालिमा, खुजली, जलन और दर्द के साथ ठंड लगने, बुखार, मांसपेशियों में दर्द, थकान, जोड़ों में दर्द, खांसी, मितली, उल्टी और दस्त जैसी दिक्कतें सामने आ सकती हैं।विशेषज्ञों का कहना है कि टीकाकरण के बाद अस्थायी दुष्प्रभाव विकसित करना आम बात है, जो कुछ घंटो से लेकर कुछ दिनों तक रह सकता है।
हालांकि यदि टीकाकरण के बाद एलर्जी होना यानी होंठ नीले पड़ जाना, चेहरे, जीभ पर सूजन या फिर सांस लेने में दिक्कत, अचानक ब्लड प्रेशर हाई होने पर तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह लें। बता दें टीकाकरण के बाद कुछ लोगों में ऐसी समस्या देखी गई है।
(टाइम्स ऑफ इंडिया से साभार)