नई दिल्ली. दूषित पानी में संक्रामक कीटाणु होते हैं। समान्य तौर पर ये नजर तो नहीं आते लेकिन इनका आक्रमण बेहद खतरनाक होता है। इंफेक्शन जैसी बीमारियां कई बार जानलेवा तक होती है और इसके लिए जिम्मेदार दूषित पानी और खाने की चीजे होती हैं, जो बरसात में सबसे ज्यादा इफेक्ट करती हैं।
बरसात में बीमारी का भीड़ की वहज से होता है। पब्लिक प्लेस पर चीजों को हाथ लगाने, एक दूसरे के साथ बैठने, खड़े रहने से कई संक्रामक रोग एक से दूसरे को लग जाती है। फ्लू, सर्दी-जुकाम, आई फ्लू आदि।
गलत खान-पान के कारण हैजा,एक्यूट गैस्ट्रोएंटेराइटिस (कई वायरस, बैक्टीरिया और प्रोटोजोआ के कारण), पेचिश, टाइफाइड, साल्मोनेलोसिस और वायरल हेपेटाइटिस (ए और / या ई) जैसी बीमारियां घेर लेती हैं। इन सब बचने के लिए बस थोड़ी सी सावधानी रखने की जरूरत है।
बोतलबंद पानी पर न करें भरोसा
बरसात के मौसम में हमेशा उबला हुआ पानी पिएं। यदि यह संभव नहीं है तो फिल्टर्ड पानी (शुद्ध या रिवर्स ऑस्मोसिस) का सेवन करें।बोतलबंद पानी पर भरोसा न करें, क्योंकि इसमें छेड़छाड़ की जा सकती है। खासकर रेलवे स्टेशनों पर नल के पानी को ही भर कर बोतल में दे दिया जाता है। खुद घर से पानी ले कर चलें।
मानसून में कुछ भी लिक्विड ड्रिंक लेने से बचें खास कर बर्फ का सेवन बिलकुल न करें। ये बर्फ कई बार संक्रमण का कारण बन जाती हैं। पानी की जगह आप चाहे तो बरसात में बहुत प्यास लगने पर कोल्ड ड्रिंक पी लें लेकिन पानी कहीं पर भी पीने से बचें।
कच्चे फल और सब्जियों से रहें दूर
पानी की तरह खाना भी उतना ही रिस्की होता है। खुले कटे हुए सलाद, फ्रूट्स, अधकची सब्जियां या देर तक रखा खाना, कच्चा या अनपॉश्चराइज्ड दूध, कच्चा मीट शेलफीश आदि जो कुछ भी सड़कों पर बेचा जाता है, इनसे दूर रहें। ये बरसात में बेहद खतरनाक होते हैं।
कच्चे फल और सब्जियों से दूर रहें।खाने को अच्छी तरह से पकाएं,खासकर मांसाहारी भोजन। डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ खाने से बचें। बार-बार फ्रीज में रखे खाने को न खाएं। बासी खाना खाने से बचें। भोजन को ढक कर रखें और मक्खियों से बचाएं।
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स्वच्छता का रखें विशेष ध्यान
1. सब्जियों और फलों को अच्छी तरह से बहते पानी के नीचे धोएं, खासकर हरी पत्तेदार सब्जियाँ जैसे पालक, मेथी की पत्तियाँ आदि।
2. सब्जियों को धो कर नमक या सिरके पानी में डुबों कर कुछ देर छोड़ दें। बाद में इन्हें धो कर यूज करें।
3. अनपॉश्चराइज्ड दूध से बने उत्पादों से बचें। केवल पॉश्चराइज्ड या उबला हुआ दूध पियें।
4. परिवार के सदस्य जो साल्मोनेलोसिस से पीड़ित हैं, उन्हें घर पर खाना बनाने से बचना चाहिए।
5. जब भी कुछ बनाए या काटें उससे पहले हाथ धोएं और सब्जी बोर्ड पर रख कर काटें।
6. पालतू जानवरों के संपर्क में आने के बाद या टॉयलेट से आ कर साबुन से हाथ धोएं।
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छोटी लेकिन बेहद महत्वपूर्ण हैं ये बातें, जरूर जानें
1. किचन की नैपकिन को अलग से धोएं क्योंकि ये ई-कोलाई जैसे सूक्ष्मजीवों से भरी होती है।
2. पेचिश या दस्त से पीड़ित लोगों से हाथ मिलाने से बचें। हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें।
3. तैराकी से पहले और बाद में स्नान करें।
4. किचन गार्बेज को सही तरीके से ढक कर रखें और उसे जमा न करें। साफ करते रहें ताकि वायरस और बैक्टीरिया को यहां जगह न मिले।
5. यदि आपको गैस्ट्रोएंटेराइटिस के लक्षण जैसे उल्टी और दस्त दिखे तो नमक-चीनी का घोल पीते रहे ताकि डिहाइड्रेशन न हो।
6. अपने चिकित्सक से टाइफाइड या हेपेटाइटिस ए के टीके लगवाने के बारे में जरूर बात कर लें।
डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता।
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