आपकी डाइट, स्ट्रेस और लापरवाही है ब्रेन स्ट्रोक का कारण, जाने बचने के उपाय

हेल्थ
Updated Oct 28, 2018 | 07:09 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

नसों में फैट जमने से ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होने लगता है। इससे ब्लड क्लॉट्स हो जाता है। यही क्लॉट आगे जाकर ब्रेन स्ट्रोक का रूप ले लेता है।

Brain Strokes
Brain Strokes 

Brain Strokes: बदतर लाइफस्टाइल और कुछ भी खा लेने की आदत ने ब्रेन स्ट्रोक के खतरों को बढ़ा दिया है। स्ट्रेस लेवल हाई होना और कोलेस्ट्राल बढ़ना ही इस रोग का मुख्य कारण है। आइए जानें किन्हें इससे ज्यादा खतरा है औ इससे कैसे बचा जाए।

नसों में फैट जमने से ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होने लगता है। इससे ब्लड क्लॉट्स हो जाता है। यही क्लॉट आगे जाकर ब्रेन स्ट्रोक का रूप ले लेता है। मस्तिष्क में जब ब्लड सर्कुलेशन सही नहीं होता तो मस्तिष्क की कोशिकाएं मरने लगती हैं और इसी कारण ब्रेन स्ट्रोक होता है। मस्तिष्क की ब्लड पहुंचाने वाली नलिकाएं फट जाती हैं तो इसे ब्रेन हैमरेज कहते हैं। कई बार ब्रेन स्ट्रोक जानलेवा भी हो सकता है। इसे ब्रेन अटैक भी कहते हैं।

आइए सबसे पहले इसके लक्षण जानें

अचानक से संवेदन शून्य हो जाना। चेहरे, हाथ-पैर या शरीर के किसी एक हिस्से में कमजोरी आना। मांसपेशियों में विकृति । कुछ भी समझने या बोलने में मुश्किल होना। एक या दोनों आंखों में दिक्कत आना। चलने में मुश्किल आना, चक्कर आना, संतुलन की कमी हो जाना। अचानक गंभीर सिरदर्द होना। फेस ड्रूपिंग यानी चेहरे का एक ओर झुक जाना या सुन्न हो जाना। हाथों का सुन्न हो जाना या नीचे की ओर लटक जाना।

ऐसे लोगों पर सबसे ज्यादा होता है खतरा

  • टाइप-2 डाइबिटीज के मरीजों में इसका खतरा काफी बढ़ जाता है। 
  • हाई ब्लड प्रेशर और हाइपरटेंशन के मरीज इसकी चपेट में जल्दी आ जाते हैं। 
  • अत्यधिक तनाव में रहना और हमेशा खाते रहना या मोटापा ब्रेन अटैक का एक प्रमुख कारण बन सकता है। 
  • धूम्रपान, शराब और गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन ब्रेन अटैक को निमंत्रण देने वाले कारण माने जाते हैं। 
  • कोलेस्ट्रॉल का बढ़ता स्तर और घटती शारीरिक सक्रियता भी इसका कारण बन सकती है।

सर्दियों में इसलिए बढ़ता है खतरा सर्दियों में धमनियां सिकुड़ जाती हैं और ब्लड गाढ़ा होने से हार्ट को इसे पंप करने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इससे ब्लडप्रेशर बढ़ जाता है। वहीं ब्लड गाढ़ा होने से इसका सर्कुलेशन भी सही नहीं हो पाता। कई बार ब्लड क्लॉटेज होने लगता है इससे दिक्कत बढ़ती है।

नोट : इस मौसम में अपने शरीर को गर्म रखने का प्रयास करें। ऊनी कपड़ों से ढ़ककर रखें ताकि स्ट्रोक की आशंका कम हो। खिड़की-दरवाजे बंद रखें और पर्दे डालकर रखें, ताकि कमरे में गर्मी बनी रहे। कमरे का टेंपरेचर 18 से 21 डिग्री के बीच रहना चाहिए। सर्दियों में सुबह में खास ध्यान रखें। बचाव के लिए है जरूरी तनाव न लें। मानसिक शांति के लिए ध्यान करें। धूम्रपान और शराब से बचें। कार्डियो एक्सरसाइज और योग करें। वेट न बढ़ने दें। हृदय रोगी और डाइबिटीज के रोगी सावधानी बरतें। सोडियम का अधिक मात्रा में सेवन न करें। गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन न करें, परिवार नियोजन के दूसरे तरीके अपनाएं।

अटैक आने पर क्या करें 
रक्तदाब को नियंत्रित करने वाली दवा न लें। किसी न्यूरोलॉजिस्ट के पास जाएं। मरीज को हॉस्पिटल ले जाने में देर न करें। तुरंत उपचार जरूरी है, क्योंकि स्ट्रोक आने के एक घंटे में मस्तिष्क काफी न्यूरॉन्स खो देता है।

इन्हें खाएं
साबुत अनाज खाएं, क्योंकि यह फाइबर के अच्छे स्रोत हैं और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अदरक का सेवन करें, क्योंकि इससे रक्त पतला रहता है और थक्का बनने की आशंका कम हो जाती है। ओमेगा फैटी एसिड वाले खाद्य पदार्थ जैसे तैलीय मछलियां, अखरोट, सोयाबीन आदि को अपने खाने में शामिल करें। जामुन, गाजर, टमाटर और गहरी हरी पत्तेदार सब्जियां जरूर खाएं।

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