नई दिल्ली: मोटापा कम करना या फिर शरीर का वजन घटाना कठिन काम हैं, जिनमें आपको अपनी ऐड़ीचोटी का जोर लगाना पड़ता है। अक्सर कई लोगों का कहना होता है कि भले ही वो कुछ भी खा लें, लेकिन उनका वजन नहीं बढ़ता। इसके उलट कुछ ऐसे लोग होते हैं, जिनकी शिकायत होती है कि वह अगर पानी भी थोड़ा ज्यादा पी लें तो उनका वजन बढ़ने लगता है।
इन दोनों ही मामलों में एक चीज सामान्य होती है, जिनसे लोगों का वजन बढ़ता भी है और मोटापा कम भी नहीं होता। मेटाबॉलिज्म नामक एक ऐसा शब्द है, जो वजन घटने और बढ़ने के लिए हमारे शरीर में होने वाली आंतरिक क्रियाओं के लिए जिम्मेदार होता है। यह भी माना जाता है कि मेटाबॉलिज्म के सुस्त पड़ने से मोटापा, थकावट, डायबीटीज, अधिक बीपी की संभावना बढ़ जाती है।
क्या है मेटाबॉलिज्म?
मेटाबॉलिज्म एक रासायनिक प्रक्रिया है, जिसके तहत हमारे शरीर में ऊर्जा का बंटवारा होता है। इसका मतलब यह हुआ कि जीवन जीने में जितनी ऊर्जा की हमें आवश्यकता होती है वह सब मेटाबॉलिज्म से निर्धारित होता है। यानि किसी काम को करने में हमारा शरीर कितनी ऊर्जा की खपत कर रहा है यह मेटाबॉलिज्म से निर्धारित होता है। इस प्रक्रिया में कैलोरी की खपत (बर्निंग) होती है।
मोटापा बढ़ने के पीछे मेटाबॉलिज्म का क्या है खेल
जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती जाती है वैसे-वैसे हमारे शरीर का मेटाबॉलिज्म रेट धीमा होता जाता है और इस स्थिति में लोगों में आसानी से मोटापा बढ़ने लगता है। पुरुषों में इसकी समय सीमा 40 वर्ष के आसपास होती है और महिलाओं में 50 वर्ष के करीब। यहां तक की बाहर का प्रोसेस्ड फूड खाने वाले बच्चों का भी मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है जिसकी वजह से उनका वजन बढ़ने लगता है। फास्ट फूड और जंक फूड किसी भी सूरते हाल में इसलिए अच्छे नहीं माने जाते है।
बेहतर मेटाबलिज्म के लिए क्या करना चाहिए?