एक और वायरस ला सकता है महामारी, जानें कश्मीरी वॉयरोलॉजिस्ट की खोज क्यों अहम

Rift Valley Fever: विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रिफ्ट वैली फीवर निकट भविष्य में महामारी ला सकता है। वायरस पालतू जानवरों के बीच मच्छरों द्वारा फैलता है। जो बाद में इंसानों में फैल जाता है।

What is Rift Valley Fever
रिफ्ट वैली फीवर क्यों है खतरनाक। फोटो: आईस्टॉक 
मुख्य बातें
  • मच्छरों से फैलने वाला आरवीएफ वायरस एक प्रोटीन के जरिए मानव कोशिकाओं में प्रवेश करता है।
  • यह वायरस मच्छरों के जरिए पालतू जानवर में फैलता है।
  • रिफ्ट वैली फीवर वायरस मानव कोशिकाओं में एक प्रोटीन के माध्यम से प्रवेश करता है।

Rift Valley Fever: कोरोना वायरस और उससे फैली कोविड-19 महामारी के बीच एक और वायरस दुनिया के लिए खतरा बन सकता है। मच्छर से फैलने वाले इस वायरस को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अलर्ट किया है। उसका कहना है कि इस वायरस में भविष्य में महामारी लाने की क्षमता है। इस बीच कश्मीर के वॉयरोलॉजिस्ट डॉ सफदर गनी ने अहम खोज कर यह पता लगाया है कि कैसे नया वायरस रिफ्ट वैली फीवर (Rift Valley Fever) मच्छरों के जरिए इंसानों में पहुंच गया है।

क्या है Rift Valley Fever

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रिफ्ट वैली फीवर को एक प्राथमिकता वाली बीमारी के रूप में सूचीबद्ध किया है । उसके अनुसार निकट भविष्य में इसके जरिए महामारी होने की संभावना है। यह वायरस पालतू जानवरों के बीच मच्छरों द्वारा फैलता है। जो बाद में इंसानों में फैल जाता है। और उसका इंसानों पर प्रतिकूल असर हो सकता है।

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क्या कहती है नई खोज

नयूज एजेंसी एएनआई रिपोर्ट्स के मुताबिक, कश्मीर स्थित वायरोलॉजिस्ट ने डॉ सफदर गनी मानव कोशिकाओं में रिफ्ट वैली फीवर (आरवीएफ) वायरस की उपस्थिति की खोज की है। अमेरिका में रहने वाले डॉ  गनी ने पाया कि मच्छरों से फैलने वाला आरवीएफ वायरस एक प्रोटीन के जरिए मानव कोशिकाओं में प्रवेश करता है। डॉ गनी और उनके सहयोगियों की खोज हाल ही में जर्नल सेल में प्रकाशित हुई थी। 

ईलाज में कैसे होगा कारगर

डॉ गनी और उनकी टीम ने पाया कि मच्छरों द्वारा फैला हुआ रिफ्ट वैली फीवर वायरस मानव कोशिकाओं में एक प्रोटीन के माध्यम से प्रवेश करता है, जो कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन को हटाने में शामिल होता है। जो कि खून से तथाकथित 'खराब कोलेस्ट्रॉल' के वाहक का काम करता है। इस खोज से रिफ्ट फीवर वैली के उपचार में मदद मिलेगी।

दक्षिण अफ्रीका में पाया गया

रिफ्ट वैली वायरस का सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में पता चला था। साल 2008-2009 में रिफ्ट वैली बुखार के छोटे छिटपुट प्रकोपों ​​​​के बाद, दक्षिण अफ्रीका में 2010 और 2011 में एक व्यापक महामारी हुई। इसके 250 से अधिक सामने आए जिनमें 25 लोगों की मौत हुई। इसके अलावा 14,000 से अधिक पशुओं के मामले सामने आए और उसमें 8,000 जानवरों की मौत हो गई थी।

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