आम बोलचाल की भाषा में स्ट्रेस, एंग्जाइटी और डिप्रेशन एक समान लगते हैं लेकिन इन सबके बीच एक बारीक लाइन है जो इन्हें एक दूसरे से अलग करती है। कोरोना वायरस जैसी महामारी के दौर में ये शब्द आजकल ज्यादा सुनने को मिल रहे हैं। दुनियाभर में इसके खतरे को देखते हुए लॉकडाउन की स्थिति बनी हुई है और संक्रमण से बचने के लिए लोग अपने-अपने घरों में कैद है। ऐसे में उन्हें डिप्रेशन और स्ट्रेस जैसी मानसिक हालातों का सामना करना पड़ रहा है। आज हम यहां इसी के बारे में बात करेंगे।
स्ट्रेस और डिप्रेशन लेवल किसी एक खास आयुवर्ग के लोगों में नहीं बल्कि बच्चे, जवान, बुजुर्ग हर किसी में ये तेजी से बढ़ रहा है। कहते हैं लोगों से मिलने जुलने से बाहर घूमने से और बाहर की हवा खाने से स्ट्रेस लेवल कम होता है लेकिन कोरोना के दौर में इन सभी चीजों पर पाबंदी लग गई है और परिणामस्वरुप स्ट्रेस लेवल अपने आप लोगों का बढ़ रहा है। कुछ रिपोर्ट के मुताबिक डिप्रेशन के शिकार आम तौर पर एंग्जाइटी के भी शिकार होते हैं।
डिप्रेशन और एंग्जाइटी काफी गंभीर मानसिक बीमारी है लेकिन इसका इलाज संभव है इन दोनों बीमारियों के लक्षण भी लगभग-लगभग एक समान होते हैं। इसमें आम तौर पर मरीज को नर्वसनेस, चिड़चिड़ापन, नींद ना आने की बीमारी, ध्यान ना लगना। जानते हैं डिप्रेशन, एंग्जाइटी और स्ट्रेस क्या होते हैं और कैसे ये एक दूसरे से अलग होते हैं-
डिप्रेशन
डिप्रेशन दुनियाभर में एक कॉमन बीमारी है। मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा टर्म है डिप्रेशन। WHO के मुताबिक दुनियाभर में लभगग 264 मिलियन लोग इससे पीड़ित हैं। इसमें जीवन में रोजाना आने वाली चुनौतियों से हम घबरा जाते हैं और इससे हमारा मूड भी उसी हिसाब से रिएक्ट करने लगता है। इसमें हर वक्त मरीज को कुछ न कुछ खोन का डर सताता रहता है फिर चाहे वह आपके पर्सनल लाइफ से जुड़ी चीजें हों, प्रोफेशनल लाइफ से जुड़ी चीजें हों रिलेशनशिप को लेकर हो। इसके कुछ आम लक्षण हैं- मरीज हतोत्साहित हो जाता है, दुखी रहता है, निराशावादी हो जाता है, गुस्सा, उदासीपन, लो एनर्जी लेवल, नींद ना आना जैसी चीजें। ये सारे लक्षण अगर आपको दो सप्ताह से ज्यादा समय तक के लिए हैं तो इसका असर आपके जीवन पर बुरी तरह पड़ने लगता है। कुछ समय पहले तक इस बीमारी को लेकर लोगों में हिचकिचाहट थी, इसके बारे में लोग खुल कर बात नहीं कर पाते थे लेकिन अब इसे लेकर लोगों में डर झिझक खत्म हो गया है और इस समस्या के बारे में लोग खुल कर बातें करने लगे हैं और इसका इलाज भी करवाते हैं।
एंग्जाइटी
एंग्जाइटी का अर्थ होता है गहरी चिंता करना। स्ट्रेस होने पर शरीर का जो नेचुरल रिस्पांस होता है उसे ही एंग्जाइटी कहा जाता है। इसमें आना वाले समय के लिए डर का एहसास होता है। अगर आप एंग्जाइटी से पीड़ित हैं तो आपको अक्सर डर लगता रहेगा। आप हर वक्त किसी न किसी बात से चिंतित रहेंगे और अचानक से ही पैनिक हो जाएंगे। अगर इसका सही समय पर इलाज ना किया जाए तो ये आपके व्यवहार पर और आपके काम करने की क्षमता पर बुरा असर डालता है। इससे रिश्तों पर भी प्रभाव पड़ता है और कई मामलों में तो मरीज घर छोड़कर भी चला जाता है।
स्ट्रेस
स्ट्रेस और एंग्जाइटी इन दोनों के लक्षण लगभग एक जैसे होते हैं लेकिन ये आपस में बेहद अलग हैं। स्ट्रेस रोजाना के काम के दबाव का जो रिएक्शन होता है उसे कहते हैं जबकि एंग्जाइटी स्ट्रेस का रिएक्शन होता है। इसका इलाज काफी मुश्किल होता है। स्ट्रेस के लक्षण सिर दर्द, हाई ब्लड प्रेशर, चेस्ट पेन, दिल की बीमारी का खतरा, त्वचा की बीमारी, नींद की समस्या है। स्ट्रेस का इलाज उतना मुश्किल नहीं है अगर आप अपने काम का दबाव या फिर जिस चीज से आपको स्ट्रेस है उस चीज को कम कर लेते हैं तो आपका स्ट्रेस भी कम हो जाता है।