हिमाचल में मॉनसून हर साल दर्जनों घरों के चिराग को बुझा देता है। कई पर्यटक भी इसकी चपेट में आ जाते हैं और खुशी मातम में बदल जाती है। एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में हर साल औसतन मॉनसून में 300 से अधिक लोगों की मौत हिमाचल में हुई है।
राज्य आपदा प्रबंधन निदेशक सुदेश मोख्ता ने इस मामले पर कहा है कि हिमाचल प्रदेश में पिछले पांच वर्षों में मानसून के मौसम में 1,550 से अधिक लोगों की जान गई है। मोख्ता के अनुसार 2021 में मानसून में सबसे अधिक 476 लोगों की मृत्यु हुई थी। इसके बाद 2018 में 343 लोगों को मॉनसून ने अपना शिकार बनाया तो वहीं इस साल 276 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 2020 में 240 और 2019 में 218 लोगों की मृत्यु हुई थी।
डाटा के अुसार पिछले पांच मानसून में कुल 1,553 लोगों की मौत हुई है। 2022 में 29 जून से 27 अगस्त तक 276 मौतों के अलावा, 508 लोग घायल भी हुए है। जबकि नौ लोग बारिश से संबंधित घटनाओं में लापता हो गए हैं, इनका अभी तक कोई पता नहीं चला है।
मिली जानकारी के अनुसार 276 मौतों में से सबसे ज्यादा 134 की मौत सड़क दुर्घटनाओं में हुई है। 36 लोग पेड़ और चट्टान गिरने की घटनाओं में, 12 डूबने की घटनाओं में, 19 लैंडस्लाइड में, 65 अचानक आए बाढ़ में, 13 बादल फटने की घटनाओं में अपनी जान गंवा चुके हैं। इसके अलावा 49 लोगों की मौत करंट लगने, बिजली गिरने के कारण हुई है।
इसके अलावा, पिछले पांच वर्षों में मानसून के मौसम में 6,537.39 करोड़ रुपये की सरकारी संपत्ति नष्ट हो चुकी है। इसके अलावा, पांच वर्षों में 12,444 घर भी क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। 2018 में सबसे ज्यादा 5,160 घर क्षतिग्रस्त हुए, उसके बाद 2019 में 3,031, 2021 में 1,976, 2020 में 1,346 और 2022 में 931 घर नष्ट हुए हैं।
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