नई दिल्ली: पानी के अंदर देश की मारक क्षमता और ताकत को बढ़ाने के लिए भारतीय नौसेना 18 पारंपरिक और 6 परमाणु पनडुब्बियों को बनाने की योजना बना रही है। रक्षा संबंधी एक स्थाई समिति ने संसद के शीतकालीन सत्र में अपनी रिपोर्ट में कहा, '18 पारंपरिक और 6 परमाणु हमलावर पनडुब्बियों को बनाने की योजना बनाई गई है। भारतीय नौसेना की मौजूदा बेड़े में 16 पनडुब्बियां सेवा दे रही हैं और इनमें से आईएनएस चक्र रूस से लीज पर ली गई है।'
भारतीय नौसेना ने जो 6 परमाणु पनडुब्बियां (एसएसबीएन) विकसित करने की योजना बनाई है उनमें अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बियां भी शामिल होंगीं। इन्हें निजी क्षेत्र के साथ मिलकर तैयार करने की योजना है। फिलहाल भारत के पास जो पनडुब्बियां देश की रक्षा में सेवा दे रही हैं उनमें किलो क्लास, जर्मनी की एचडीडब्ल्यू क्लास और हाल ही में फ्रांस की मदद से तैयार हुईं स्कॉर्पीन क्लास की पारंपरिक पनडुब्बियां हैं। इसके अलावा स्वदेशी आईएनएस अरिहंत और रूस से लीज पर ली गई आईएनएस चक्र परमाणु पनडुब्बियां भी ऑपरेशनल हैं।
क्या होती हैं पारंपरिक और परमाणु पनडुब्बियां-
पारंपरिक पनडुब्बियां ऐसी पनडुब्बियां होती हैं जो डीजल और अन्य पारंपरिक ईंधन से चलती हैं। इनके किसी भी ऑपरेशन को अंजाम देने की क्षमता सीमित होती है। जबकि परमाणु हमलावर पनडुब्बियों को कई साल तक ईंधन की जरूरत नहीं पड़ती। इनके अंदर लगा परमाणु रिएक्टर इन्हें बेशुमार ऊर्जा देता है। इसी वजह से यह लंबी दूरी तक जा सकती हैं और लंबे समय तक सतह पर आए बिना पानी के अंदर छिपी रह सकती हैं। यह पनडुब्बियां लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों की मदद से परमाणु हमला करने में भी सक्षम होती हैं।
मौजूदा समय में भारत के पास आईएनएस अरिहंत नाम की स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी है और इसके अलावा एक अन्य स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिघात के जल्द ही नौसेना में शामिल होने की संभावना है।
पुराना हो रहा है नौसेना का पनडुब्बी बेड़ा-
भारतीय नौसेना की ओर से समिति का ध्यान इस बात की ओर भी आकर्षित किया गया है कि पिछले 15 साल में भारतीय नौसेना के बेड़े में सिर्फ 2 पारंपरिक पनडुब्बियां (आईएनएस कलवरी और आईएनएस खांदेरी) शामिल की गई हैं। समिति की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 13 मौजूदा पनडुब्बियां 17 से 31 साल पुरानी हैं।
(Photo- ANI)
प्रोजेक्ट 75- भारतीय नौसेना प्रोजेक्ट 75 के तहत 6 नई पारंपरिक पनडुब्बियों को बनाने की योजना पर काम कर रही है। इन्हें भारतीय और विदेशी कंपनियों की साझेदारी में विकसित किया जाएगा। इस प्रोजक्ट को रणनीतिक साझेदारी नीति के तहत आगे बढ़ाए जाने की योजना है।
चीन की बढ़ती घुसपैठ ने बढ़ाई चुनौती- हिंद महासागर में चीन की बढ़ती घुसपैठ के बीच भारत के लिए अपने पनडुब्बी बेड़े को मजबूत करना बेहद जरूरी हो गया है क्योंकि पनडुब्बी समुद्री लड़ाई में दुश्मन देश पर अपना क्षमता का प्रभाव वाला बनाए रखने का अहम हथियार होता है। पनडुब्बी पानी के नीचे छिपे रहकर कहीं से भी हमला कर सकती है और किसी को भी उसकी जगह और स्थिति का अंदाजा नहीं होता। बीते समय में हिंद महासागर में चीनी पनडुब्बियों की घुसपैठ की खबरें सामने आती रही हैं। ऐसे में भारत के लिए पनडुब्बी बेड़े को मजबूत और आधुनिक बनाना बहुत जरूरी हो गया है।
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