2020 : वह साल जिसने हमें घरों में कैद कर दिया, अब टीकों पर टिकीं उम्मीदें

देश
आलोक राव
Updated Dec 31, 2020 | 20:22 IST

जीवन, अर्थव्यवस्था का लय बिगाड़ देने वाली यह महामारी अब दुनिया के सामने नए रूप में सामने आ रही है। ब्रिटेन से निकला कोरोना नया प्रकार अलग-अलग देशों में पहुंच गया है।

2020 : A year that nobody would loke to remember
2020 : वह साल जिसने हमें घरों में कैद कर दिया।  |  तस्वीर साभार: PTI

नई दिल्ली : शुक्रवार से नए साल की शुरुआत हो जाएगी। लोग नए उमंग और उत्साह के साथ अतीत के बोझ से ऊबर कर नई पारी की शुरुआत करना चाहेंगे। साल 2020 के कोरोना संकट ने लोगों को जो घाव और कड़वी यादें दी हैं वे ताउम्र सालती रहेंगी। कोई भी नहीं चाहेगा कि इस तरह का वर्ष कभी जिंदगी में दस्तक दे। दिसंबर 2019 से दिसंबर 2020 की यात्रा बेहद पीड़ा दायक, खौफनाक और त्रासदीपूर्ण रही है। कोरोना ने पूरी दुनिया में ऐसा कोहराम मचाया कि इसके प्रकोप के आगे ताकतवर देशों ने घुटने टेक दिए। इस महामारी ने लाखों लोगों की जिंदगियां खत्म कर दीं। कई देशों की अर्थव्यवस्था तबाह हो गई और लोग अपने घरों में कैद हो गए। रोजी-रोटी पर संकट खड़ा होने पर लाखों लोगों को पलायन करने पर मजबूर होना पड़ा। 

कोरोना ने बिगाड़ दिया जीवन का लय
जीवन, अर्थव्यवस्था का लय बिगाड़ देने वाली यह महामारी अब दुनिया के सामने नए रूप में सामने आ रही है। ब्रिटेन से निकला कोरोना नया प्रकार अलग-अलग देशों में पहुंच गया है। भारत में भी इसने दस्तक दी है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कोरोना की इस नई लहर को ज्यादा खतरनाक मान रहे हैं। सबकी उम्मीदें टीकों पर टिकी हैं। एक तरह से अब टीके ही सहारा हैं। इस संकट ने मानवता को इतना नुकसान पहुंचाया है जितना कि युद्धों और प्राकृतिक आपदाओं से नहीं पहुंचा है। इसके दुष्परिणाम किन किन रूपों में अभी दुनिया के सामने आएंगे अभी इसका आंकलन चल ही रहा है। 

चीन से निकला यह अदृश्य दुश्मन
इस अदृश्य दुश्मन ने दिसंबर 2019 में चीन से दुनिया पर ऐसा हमला बोला जिसके लिए किसी भी देश की स्वास्थ्य संस्था तैयार नहीं थी। डब्ल्यूएचओ से लेकर दुनिया के ताकतवर देशों के सामने यह कोरोना लंबे समय तक एक अदृश्य एवं अबूझ दूश्मन की तरह रहा। देश और दुनिया जब तक इसके स्वरूप और घातक असर को समझती तब तक इसने मानवता को काफी नुकसान पहुंचा दिया। शुरुआत में इससे लड़ाई के लिए सरकारों के पास न तो जानकारी रही और न साधन। मास्क, पीपीई किट, वेंटिलेटर के अभाव से दुनिया लंबे समय तक जूझती रही। 

चुनौती बड़ी तो संकल्प भी बड़ा
कोरोना ने भले ही अपने विकराल रूप से मानव अस्तित्व को चुनौती दी लेकिन मनुष्य की जिजीविषा ऐसी चीज है जो किसी भी चीज से हार नहीं मानती। कोविड-19 से जंग में बड़ी संख्या में स्वास्थ्य एवं सुरक्षाकर्मी जैसे कोरोना वॉरियर्स अपनी जिंदगी कुर्बान दी। कोरोना से लड़ने की चुनौती बड़ी थी तो संकल्प भी बड़ा हुआ। इसके खिलाफ सरकारें, लोग एकजुटे हुए और 'कोरोनो को हराना है' की भावना के साथ लंबी लड़ाई के लिए तैयार हो गए। महामारी और मानवता के बीच लड़ाई का दौर निर्णायक दौर में है। उम्मीद है कि इस लड़ाई में विजय मानवता की ही होगी।  
 

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