पंजाब में पराली जलाने के मामलों में 30 प्रतिशत इजाफा, दिल्ली की हवा पर पड़ रहा सीधा असर

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Updated Nov 03, 2019 | 06:30 IST | IANS

Delhi Pollution Parali: राजधानी दिल्ली के पड़ोसी राज्य पंजाब में लगातार पराली जलाई जा रही है और बीते साल के मुकाबले मामले 30 फीसदी बढ़े हैं।

Parali burn in Punjab Delhi Pollution
प्रतीकात्मक तस्वीर  |  तस्वीर साभार: IANS

Delhi Air Quality Index pollution, चंडीगढ़: पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के कारण बढ़ने वाले प्रदूषण से दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा दिन-प्रतिदिन बिगड़ रही है। पहले से ही प्रदूषण की मार झेल रहे एनसीआर में लोगों का सांस लेना भी दूभर हो गया है। मगर पड़ोसी राज्य पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे। पंजाब में पिछले साल की अपेक्षा इस बार पराली जलाने के मामलों में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने किसानों से अपील की है कि वे पराली न जलाकर अन्य विकल्प अपनाएं।

आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, पंजाब में 15 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक फसल अवशेष (पराली) जलाने के 19,860 से अधिक मामले सामने आए हैं। अधिकारियों ने कहा कि पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान सामने आए मामलों की अपेक्षाकृत यह आंकड़ा 30 फीसदी अधिक है।

पिछले साल पंजाब में धान की कटाई के मौसम में कुल 50,495 मामले देखे गए। यहां कटाई का सीजन 15 नवंबर तक रहता है। पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा आमतौर पर फसल अवशेषों को जलाने से सालाना 30 अरब डॉलर से अधिक का आर्थिक नुकसान होता है। इसके अलावा सांस लेने में तकलीफ व श्वसन संक्रमण का भी बड़ा जोखिम रहता है।

अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आईएफपीआरआई) व इसके सहयोगी संस्थानों का कहना है कि इस धुंए से श्वसन रोग व खासकर बच्चों में काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

पाकिस्तान की सीमा से लगे पंजाब के तरनतारन जिले में सबसे अधिक 2,520 पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए। इसके बाद फिरोजपुर (2,269) और संगरूर जिलों में (2,157) मामले दर्ज किए गए। पठानकोट जिले में न्यूनतम दो मामले देखे गए।

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