5 फरवरी का इतिहास: ब्रिटेन में जब बच्चों ने जीभर मिठाइयां खाईं

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Updated Feb 05, 2021 | 06:18 IST

आज का इतिहास: पांच फरवरी 1953 को ब्रिटेन मे मिठाई पर लगे वितरण के नियम को समाप्त कर दिया और बच्चों ने जीभर मिठाइयां खाईं।

5 february history
ब्रिटेन में मिठाइयों के वितरण पर लगे नियंत्रण को किया गया था खत्म  |  तस्वीर साभार: BCCL

नयी दिल्ली। पांच फरवरी का दिन इतिहास में ब्रिटेन से संबंधित एक दिलचस्प घटना से जुड़ा है। दरअसल 1953 में पांच फरवरी के दिन ब्रिटेन में मिठाई पर सालों से लगे नियंत्रित वितरण नियम को खत्म कर दिया गया और बच्चों ने जीभर मिठाइयां खाईं। इस आशय के सरकारी ऐलान के बाद बच्चे अपनी गुल्ल्कों से पैसे निकालकर मिठाई की दुकानों की तरफ दौड़ पड़े और टॉफी, चाकलेट, कन्फैक्शनरी से लेकर तमाम मिठाइयों का लुत्फ लिया।

बच्चों के साथ ही यह मिठाई बनाने वाली कंपनियों के लिए भी खुशी का मौका था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सभी को जरूरी वस्तुएं समान मात्रा में मिलें इसलिए चीनी और इससे बने उत्पादों तथा अन्य सामान की राशनिंग करने का फैसला किया गया। ब्रिटेन में कई उत्पादों के वितरण को जनवरी 1940 में सीमित कर दिया गया था। वस्त्रों, फर्नीचर और पेट्रोल पर लगा नियंत्रण तो 1948 के बाद से धीरे-धीरे समाप्त होने लगा, लेकिन इसे पूरी तरह समाप्त होने में कई साल लग गए।

देश दुनिया के इतिहास में पांच फरवरी की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:-

1630 : सिख गुरू हर राय जी का जन्म।
1922 : चौरी चौरा में थाने पर भीड़ के हमले में 22 पुलिसकर्मियों की मौत। इस घटना ने महात्मा गांधी के अहिंसा आंदोलन को कुछ समय के लिए पटरी से उतार दिया।
1937: चार्ली चैप्लिन के अभिनय से सजी पहली टॉकी ‘‘मॉडर्न टाइम्स’’ को रिलीज किया गया।
1953 : ब्रिटेन में चीनी और इससे बने उत्पादों के सीमित वितरण का नियम समाप्त।
1971: अपोलो 14 चांद की सतह पर उतरा। इस उड़ान के दौरान कई तरह की तकनीकी खराबियां आईं।
1985 : पुर्तगाल के विश्वप्रसिद्ध फुटबाल खिलाड़ी क्रिस्टियानो रोनाल्डो का जन्म। बहुत कम लोगों को पता है कि रोनाल्डो का पुरा नाम क्रिस्टियानो रोनाल्डो दोस सांतोस अवीरो है।
2008 : महर्षि महेश योगी का निधन। उन्हें भारत के प्रमुख आध्यात्मिक और धार्मिक नेताओं में शुमार किया जाता है।
2013: बांग्लादेश में एक न्यायाधिकरण ने एक कट्टरपंथी विपक्षी दल के शीर्ष सदस्य अब्दुल कादर मौला को 1971 में पाकिस्तान से आजादी की लड़ाई के दौरान युद्ध अपराधों के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

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