7th Pay Commission Latest News in Hindi: ओडिशा में सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को अब से बढ़कर क्रमशः डीए (महंगाई भत्ता) और डीआर (डियरनेस रिलीफ) मिलेगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि वहां पर मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली बीजू जनता दल (बीजद) की सरकार ने डीए में तीन फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है। यह 31 प्रतिशत से बढ़ाकर 34 प्रतिशत कर दिया गया है।
सोमवार (19 सितंबर, 2022) को इस बाबत विज्ञप्ति भी जारी की गई। सरकारी बयान में कहा गया कि सीएम पटनायक ने महंगाई भत्ते में तीन प्रतिशत वृद्धि को मंजूरी दे दी है। यह वृद्धि एक जनवरी, 2022 से प्रभावी है। राज्य सरकार के इस फैसले से लगभग चार लाख कर्मचरियों और 3.5 लाख पेंशनभोगियों को लाभ मिलेगा, जबकि जनवरी से अगस्त तक के महंगाई भत्ते के बकाया का भुगतान अलग से किया जाएगा।
OPS पर पंजाब सरकार कर रही विचार- सीएम मान
इस बीच, दो सूबों से पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) पर अपडेट आए। पंजाब में मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सोमवार को ट्वीट किया, ‘‘मेरी सरकार पुरानी पेंशन व्यवस्था को बहाल करने पर विचार कर रही है। मैंने मुख्य सचिव से इसके क्रियान्वयन की व्यवहार्यता पर गौर करने को कहा है। हम कर्मचारियों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’ दरअसल, प्रदेश के अधिकतर सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मांग कर रहे हैं, जिसे 2004 में बंद कर दिया गया था।
सत्ता में आए तो लागू कर देंगे पुरानी पेंशन स्कीम- कांग्रेस
वहीं, कांग्रेस ने ऐलान किया है कि अगर वह गुजरात की सत्ता में आती है तो वह वहां पर पुरानी पेंशन योजना लागू करेगी। कांग्रेस की गुजरात इकाई के वरिष्ठ नेता अर्जुन मोढवाडिया ने पत्रकारों से कहा, ‘‘गुजरात में सत्ता में आने पर कांग्रेस भी ऐसा ही करेगी। मैंने उनका (मान का) ट्वीट देखा है। उन्होंने सिर्फ इतना कहा है कि वह इस पर विचार करेंगे। उन्होंने न तो कोई घोषणा की है और न ही इसके लिए कोई सरकारी प्रस्ताव जारी किया है और न ही कोई निर्णय लिया है। दूसरी ओर, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकारों ने इसे लागू किया है।’’
'पेंशन देने से इन्कार करने पर लगातार नुकसान'
उधर, उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि पेंशन देने से इन्कार करने पर लगातार नुकसान पहुंचाता है। शीर्ष न्यायालय किसी सेवानिवृत्त कर्मचारी के अदालत का रुख करने में होने वाली समस्याओं के प्रति बेपरवाह नहीं हो सकता। टॉप कोर्ट ने यह भी कहा कि यह एक स्थापित कानून है कि जब सरकार पेंशन जैसे वित्तीय नियम बनाती है, जिसकी एक से अधिक व्याख्या हो सकती है, तब अदालतों को कर्मचारी के हित से जुड़ी व्याख्या के प्रति झुकाव रखना चाहिए। (पीटीआई इनपुट्स के साथ)
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