गुजरात के बालासिनोर के केएमजी जनरल अस्पताल में एक हैरान कर देने वाली घटना हुई। यहां एक डॉक्टर ने मरीज की बाईं किडनी को पथरी की जगह निकाल दिया। किडनी स्टोन निकालने के लिए अस्पताल में भर्ती मरीज की 2011 में ऑपरेशन के चार महीने बाद मौत हो गई। 10 साल बाद गुजरात राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने अब अस्पताल को मृतक मरीज के परिवार को मुआवजे के तौर पर 11.23 लाख रुपए देने को कहा है।
खेड़ा जिले के वंघरोली गांव के देवेंद्रभाई रावल ने पीठ में तेज दर्द और यूरिन पास करने में परेशानी के लिए बालासिनोर कस्बे के केएमजी जनरल अस्पताल के डॉ. शिवुभाई पटेल से सलाह ली। मई 2011 में रावल को उनके बाएं गुर्दे में 14 मिमी के स्टोन का पता चला था। हालांकि, रावल को बेहतर फैसिलिटी के लिए जाने की सलाह दी गई, लेकिन उन्होंने उसी अस्पताल में सर्जरी कराने का फैसला किया। 3 सितंबर, 2011 को उनका ऑपरेशन किया गया। परिवार तब हैरान रह गया जब सर्जरी के बाद डॉक्टर ने कहा कि स्टोन के बजाय किडनी को निकाल गया। डॉक्टर ने कहा कि यह मरीज के सर्वोत्तम हित में किया गया था।
बाद में जब रोगी को पेशाब करने में अधिक समस्या होने लगी, तो उसे नाडियाद के एक किडनी अस्पताल में स्थानांतरित करने की सलाह दी गई। लेकिन उनकी हालत और बिगड़ गई और उन्हें अहमदाबाद के आईकेडीआरसी ले जाया गया। उन्होंने 8 जनवरी, 2012 को गुर्दे की जटिलताओं के कारण दम तोड़ दिया।
रावल की विधवा मीनाबेन ने नाडियाद में उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग से संपर्क किया, जिसने 2012 में डॉक्टर, अस्पताल और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को चिकित्सा लापरवाही के लिए विधवा को 11.23 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, कंज्यूमर कोर्ट ने कहा कि इस मामले में ऑपरेटिंग डॉक्टर, अपने कर्मचारी की लापरवाही के लिए अस्पताल की जिम्मेदारी है। कोर्ट ने अस्पताल को 2012 से अब तक 7.5 फीसदी ब्याज के साथ मुआवजा देने का आदेश दिया है।
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