नई दिल्ली। आखिर हरियाणा की सड़कों पर बड़ी संख्या में किसान सड़कों पर क्यों उतर गए। उन्हें केंद्र सरकार के किन फैसलों से परेशानी है। इससे पहले हम आपको बताएंगे कि भारतीय किसान संघ का क्या कहना है। बीकेएस का कहना है कि हाल ही में केंद्र सरकार की तरफ से जो तीन अध्यादेश जारी किए गए हैं, वो किसानों के हित के खिलाफ है, इसके विरोध में जब हजारों की संख्या में किसान कुरुक्षेत्र में सड़कों पर उतरे तो पुलिस प्रशासन की तरफ से बर्बर कार्रवाई की गई। किसानों ने कुरुक्षेत्र के पिपली में राष्ट्रीय राजमार्ग पर रुकावट पैदा की।
ये हैं केंद्र सरकार के तीन अध्यादेश
केंद्र सरकार के पहले अध्यादेश के मुताबिक अब व्यापारी मंडी से बाहर भी किसानों की फसल खरीद सकेंगे। पहले किसानों की फसल को सिर्फ मंडी से ही खरीदा जा सकता था। केंद्र ने अब दाल, आलू, प्याज, अनाज, इडेबल ऑयल आदि को आवश्यक वस्तु के नियम से बाहर कर इसकी स्टॉक सीमा खत्म कर दी है। इन दोनों के अलावा केंद्र सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग को बढ़ावा देने की भी नीति पर काम शुरू किया है, जिससे किसान नाराज हैं।
अध्यादेश, किसानों के खिलाफ
किसान बचाओ, मंडी बचाओ' के नारे के साथ किसानों को पिपली अनाज मंडी में पहुंचने से रोकने के लिए जिला प्रशासन ने तगड़े इंतजाम किए थे। लेकिन किसान पिपली तक पहुंचने में कामयाब रहे। कुरुक्षेत्र शहर में दयालपुर चौराहे पर लगाएग गए पुलिस बैरियर को तोड़ते हुए ट्रैक्टर और अन्य वाहनों पर सवार लगभग किसानों ने पिपली की ओर प्रस्थान किया। किसानों का कहना है कि केंद्र के अध्यादेश से उन्हें किसी तरह का लाभ नहीं मिलेगा। उल्टे किसानों का शोषण बढ़ जाएगा। सबसे बड़ी बात यह है कि अगर कोई किसान दूसरी मंडी में जाकर सामान बेचेगा तो परिवहन लागत का भुगतान करेगा।
किसानों को कांग्रेस का समर्थन
किसानों के इस मार्च को हरियाणा की मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भी समर्थन दिया। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि चाहे खट्टर सरकार हो या मोदी सरकार दोनों हुकुमतों को किसानों से लेनादेना नहीं है। कागजों में बात कुछ और कही जा रही है और हकीकत में सबकुछ सामने है। किसानों के संघर्ष में कांग्रेस पार्टी हमेशा साथ खड़ी है।
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