11 दिसंबर को दिल्ली के सिंघू बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर से कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन करने वालों ने घर वापसी की। लेकिन गाजीपुर बॉर्डर पर किसान 15 दिसंबर से घर वापसी के लिए निकले। भारतीय किसान यूनियन के नेताओं ने घर वापसी से पहले गाजीपुर बॉर्डर पर हवन किया। राकेश टिकैत ने कहा कि जब समझौता हो जाता है तो ना कोई जाता ना कोई हार। बराबरी पर ही समझौता होता है।
चुनाव के बारे में फैसला आचार संहिता लगने के बाद
राकेश टिकैत ने कहा कि जहां तक चुनाव की बात है तो उस सिलसिले में कोई भी फैसला आचार संहिता लगने के बाद लिया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जिस तरह से उनकी तस्वीर का इस्तेमाल जयंत चौधरी और अखिलेश यादव के साथ किया गया है उस पर उन्हें ऐतराज है और तत्काल हटाने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि लखीपुर खीरी हिंसा में एसआईटी के रिपोर्ट से वो संतुष्ट हैं और मांग करते हैं कि गृहराज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी को मंत्रिमंडल से हटाया जाए
राकेश टिकैत ने क्या कहा
क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का कहना है कि किसान आंदोलन की वापसी का फैसला कर केंद्र सरकार ने संदेश दिया कि वो भी किसानों के साथ है। अगर वो किसी को समझाने में कामयाब नहीं हुए तो देखेंगे कि आखिर वजह क्या थी। इसके साथ ही जिस तरह से किसानों के प्रस्तावों पर रजामंदी दी उससे साफ है कि सरकार अब और टकराव नहीं चाहती थी। लोकतंत्र में जब सरकारों का भविष्य लोगों के वोट से तय होता है कि तो कोई भी सरकार लोगों की नाराजगी से बचना चाहती है।
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