नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर केरल सरकार और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है। राज्यपाल खान ने गुरुवार को कहा कि सीएए को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट जाने का राज्य सरकार का कदम प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने वाला है। राज्यपाल ने कहा कि वह केवल रबड़ स्टैंप नहीं हैं और इस मामले को देखेंगे। बता दें कि सीएए को चुनौती देने के लिए केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
राज्यपाल ने मीडिया से बातचीत में कहा, 'सीएए को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में उनके जाने पर मुझे कोई आपत्ति नहीं है लेकिन उन्हें पहले मुझे इस बात की जानकारी देनी चाहिए थी। संवैधानिक मुखिया होने के बावजूद मुझे इसकी जानकारी समाचार पत्रों के माध्यम से मिली। जाहिर तौर पर मैं केवल एक रबड़ स्टैंप नहीं हूं।'
राज्यपाल ने आगे कहा, 'केरल सरकार का यह कदम शिष्टाचार एवं प्रोटोकॉल का उल्लंघन है। मैं यह देखूंगा कि राज्यपाल की मंजूरी के बिना क्या राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट जा सकती है। इसके लिए यदि अनुमति की जरूरत नहीं थी तो कम से कम मुझे इस बारे में सूचित किया जा सकता था।'
बता दें कि सीएए को चुनौती देते हुए केरल सरकार मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट गई है। इस अर्जी में कहा गया है कि सीएए संविधान में दिए गए अनुच्छेद 14, अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त जीवन का अधिकार और अनुच्छेद 25 (धार्मिक अभ्यास की आजादी) का उल्लंघन करता है। साथ ही इसमें कहा गया है कि यह कानून भेदभाव करने वाला है क्योंकि इसमें खास देशों के विशेष अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। केरल सरकार सीएए के खिलाफ विधानसभा में एक प्रस्ताव भी पारित कर चुकी है।
गौरतलब है कि सीएए के संसद से पारित हो जाने के बाद इसके खिलाफ पश्चिम बंगाल सहित पूर्वोत्तर के कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शन हुए। धीरे-धीरे दिल्ली, यूपी, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, पंजाब, कर्नाटक सहित कई राज्यों में इस कानून के खिलाफ लोग सड़कों पर उतरे। सीएए का सबसे ज्यादा विरोध पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और केरल की सरकार कर रही है। ममता बनर्जी ने कहा है कि वह अपने यहां सीएए और एनआरसी को लागू नहीं होने देंगी।
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