Ladakh: पीएम मोदी के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सेना प्रमुख नरवणे शुक्रवार को करेंगे लद्दाख का दौरा

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भाषा
Updated Jul 15, 2020 | 22:37 IST

Defense Minister Rajnath Ladakh Visit: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह देश की सैन्य तैयारियों का जायजा लेने और समग्र स्थिति की समीक्षा करने के लिए शुक्रवार को लद्दाख का दौरा करेंगे।

After PM Modi Defense Minister Rajnath Singh along with army chief will visit Ladakh on Friday
एलएसी पर गतिरोध शुरू होने के बाद से राजनाथ सिंह का लद्दाख का यह पहला दौरा होगा 
मुख्य बातें
  • रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह देश की सैन्य तैयारियों का जायजा लेने लद्दाख का दौरा करेंगे
  • प्रधानमंत्री मोदी के 3 जुलाई को लद्दाख के औचक दौरे के कुछ दिन बाद ये दौरा हो रहा है
  • रक्षा मंत्री के साथ थलसेना अध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे भी होंगे

नयी दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का यह दौरा ऐसे समय हो रहा है जब भारत और चीन तनातनी वाले स्थानों से सैनिकों को पूरी तरह पीछे हटाने के लिए एक कार्ययोजना को अंतिम रूप देने की ओर बढ़ रहे हैं। रक्षा मंत्री के साथ थलसेना अध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे भी होंगे।भारत और चीन की सेनाओं के बीच पांच मई को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध शुरू होने के बाद से राजनाथ सिंह का लद्दाख का यह पहला दौरा होगा। सिंह का दौरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन जुलाई को लद्दाख के औचक दौरे के कुछ दिन बाद हो रहा है। मोदी ने अपने दौरे के दौरान सैनिकों को संबोधित किया था और सीमा पर जारी गतिरोध से सख्ती से निपटने का संकेत दिया था।

सूत्रों ने कहा कि सिंह जनरल नरवणे, उत्तरी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल योगेश कुमार जोशी, 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह तथा अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के साथ क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति की समग्र समीक्षा करेंगे।लद्दाख से रक्षा मंत्री श्रीनगर जाएंगे जहां वह शनिवार को वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक में पाकिस्तान से लगती नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर स्थिति की समीक्षा करेंगे।सिंह को पहले तीन जुलाई को लद्दाख जाना था, लेकिन उनका यह दौरा टल गया था।
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच कई स्थानों पर पांच मई से गतिरोध जारी था।

लद्दाख की गलवान घाटी में हुई थी हिंसक झड़प

गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद भारत और चीन के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया था जिसमें भारतीय सेना के 20 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे। झड़प में चीनी सेना को भी नुकसान हुआ जिसकी उसने अब तक जानकारी नहीं दी है। अमेरिका की एक खुफिया रिपोर्ट के अनुसार इस झड़प में चीन के 35 सैनिक हताहत हुए, जबकि भारतीय पक्ष ने विभिन्न आकलन के आधार पर यह संख्या इससे भी अधिक बताई थी।

दोनों सेनाओं के वरिष्ठ कमांडरों ने मंगलवार को चौथे दौर की बात की

हालांकि, कूटनीतिक और सैन्य स्तर की सिलसिलेवार बातचीत के चलते दोनों पक्षों ने पारस्परिक सहमति के आधार पर छह जुलाई से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी और अब तनातनी वाले ज्यादातर स्थानों से सैनिक पीछे हट गए हैं। सरकारी सूत्रों ने कहा कि दोनों सेनाओं के वरिष्ठ कमांडरों ने कल मंगलवार को चौथे दौर की बात की। 

इस दौरान भारतीय पक्ष ने 'बहुत ही स्पष्ट ढंग से' चीनी सेना को संदेश दिया कि पूर्वी लद्दाख में गतिरोध शुरू होने से पहले की यथास्थिति बहाल होनी चाहिए और चीन को एलएसी पर शांति एवं स्थिरता वापस लाने के वास्ते सीमा प्रबंधन के लिए पारस्परिक सहमति वाले सभी प्रोटोकॉल का पालन करना होगा। सूत्रों ने बताया कि लगभग 15 घंटे चली इस बैठक में भारतीय पक्ष ने चीनी सेना को ‘‘लक्ष्मण रेखा’’ के बारे में अवगत कराया और कहा कि क्षेत्र में समूची स्थिति में सुधार की जिम्मेदारी चीन पर है।

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